सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद गर्भवती महिला को पति ने बोला ‘तलाक, तलाक, तलाक’, FIR दर्ज

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Aug, 2017 10:52 AM

sc judgment in a panchayat filled with husband wife askeddivorce

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद भी मेरठ में एक पति ने ....

मेरठ/लखनऊ: एक साथ तीन बार तलाक बोलकर पत्नी को छोडऩे वाली प्रथा को उच्चतम न्यायालय द्वारा असंवैधानिक बताए जाने के अगले दिन ही मेरठ के सरधना में एक व्यक्ति ने अपनी गर्भवती पत्नी को कथित तौर पर ‘‘तलाक, तलाक, तलाक’’ बोलकर रिश्ता तोड़ दिया।

प्राप्त शिकायत के आधार पर पुलिस ने बताया कि सरधना के कमरा नवाबान मोहल्ला निवासी साबरीन ने छह साल पहले अपनी बेटी अॢशनिदा का निकाह मोहल्ले के ही सिराज खान के साथ किया था। निकाह के बाद से ही अॢशनिदा के ससुराल वाले उसे कथित तौर पर दहेज के लिए प्रताडि़त करते थे। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि महिला के पति ने दहेज के लिए उसकी पिटाई की और घर से बाहर निकाल दिया।  शख्स के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है।

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि ससुराल वालों ने दहेज में सेंट्रो कार और एक लाख रुपये नकद की मांग पूरी नहीं होने पर उसके साथ मारपीट की और उसे घर से निकाल दिया। मारपीट के कारण उसका गर्भपात हो गया।  जब लोगों ने महिला के पति को न्यायालय के फैसले का हवाला दिया तो उसने इसे मानने से साफ इनकार कर दिया। 

थाना प्रभारी धर्मेंद्र सिंह राठौर का कहना है कि चूंकि अभी तीन तलाक को लेकर कानून की कोई धारा नहीं है। इसलिए इसे दहेज उत्पीडऩ ही माना गया है। उन्होंने बताया कि आरोपियों की गिरफ्तारी के प्रयास किये जा रहे हैं। घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक के बावजूद एक साथ लगातार तीन बार तलाक बोलकर पत्नी के साथ रिश्ता खत्म करने का एक ताजा मामला सामने आने पर ङ्क्षचता जाहिर करते हुए न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह इसकी सजा तय भी तय करे। बोर्ड ने कहा है कि अपनी मांग को लेकर वह न्यायालय का दरवाजा खटखटायेगा।

बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करते हुए उसपर पर रोक लगायी, लेकिन कल ही मेरठ में एक गर्भवती महिला को उसके पति ने ‘‘तलाक, तलाक, तलाक’’ बोला और अपना रिश्ता खत्म कर लिया। अब सवाल यह है कि ऐसा करने वालों को कौन सी सजा दी जाएगी।’’ उन्होंने गुजारिश की कि उच्चतम न्यायालय अपने आदेश की अवहेलना करते हुए तीन तलाक देने वालों के खिलाफ सजा भी मुकर्रर करे, तभी इस पर रोक लगेगी और पीड़ितों को न्याय मिलेगा। बोर्ड इसके लिये याचिका दाखिल करके न्यायालय से अपील भी करेगा।

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