स्वच्छ होगी वाराणसी में गंगा, प्रर्यटकों को मिलेगा प्रदूषण रहित जलः केंद्र सरकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Oct, 2017 02:18 PM

cleanliness will be cleaned by the ganga in the state of varanasi

केंद्र सरकार ने दावा किया कि पौराणिक नगरी वाराणसी में पवित्र गंगा जल्दी ही स्वच्छ और निर्मल प्रवाह के साथ बहेगी और तीर्थयात्री तथा पर्यटक स्वच्छ घाटों के साथ-साथ प्रदूषित रहित जल का भी आनंद ले सकेंगे। जल संसाधन मंत्रालय

वाराणसीः केंद्र सरकार ने दावा किया कि पौराणिक नगरी वाराणसी में पवित्र गंगा जल्दी ही स्वच्छ और निर्मल प्रवाह के साथ बहेगी और तीर्थयात्री तथा पर्यटक स्वच्छ घाटों के साथ-साथ प्रदूषित रहित जल का भी आनंद ले सकेंगे। जल संसाधन मंत्रालय ने बताया कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा नदी में बहने वाले प्रदूषण को रोकने और घाटों को साफ सुथरा करने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण के साथ कार्य किया जा रहा है।

राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के तहत उठा कदम
सीवेज उपचार संयंत्रों से घाटों की स्थिति सुधारने और गंगा नदी के सतह की सफाई करने के लिए वाराणसी में राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन समयबद्ध तरीके से अनेक कदम उठा रहा है। वाराणसी शहर में वर्तमान में अनुमानित 300 एमएलडी सीवेज उत्पन्न होता है, जिसके वर्ष 2030 तक बढ़कर 390 एमएलडी हो जाने का अनुमान है। तीन मौजूदा सीवेज उपचार संयंत्रों - दीनापुर, भगवानपुर और डीएलडल्यू की वर्तमान क्षमता केवल 102 एमएलडी सीवेज की है जबकि बकाया सीवेज वरुणा और असि नदियों के माध्यम से सीधे गंगा नदी में प्रवाहित हो जाता है।

परियोजनाएं निर्माण के अंतिम चरण में 
इसके लिए जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआईसीए) की मदद वाली परियोजना और जेएनएनयूआरएम योजना के तहत 140 एमएलडी एसटीपी का संयंत्र दीनापुर में और 20 एमएलडी एसटीपी संयंत्र का गोइठा में निर्माण किया जा रहा है। ये परियोजनाएं निर्माण के अंतिम चरण में हैं और मार्च 2018 से पहले काम करना शुरू कर देंगी।


सीवेज शोधन उपचार आवश्यकताओं को करेगा पूरा 
इसके अलावा हाइब्रिड वार्षिकता आधारित पीपीपी मॉडल के तहत 50 एमएलडी एसटीपी का रमना में निर्माण किया जा रहा है जो बीएचयू क्षेत्र की सीवेज शोधन उपचार आवश्यकताओं को पूरा करेगा। इस परियोजना के लिए अनुबंध पर पहले ही हस्ताक्षर किए जा चुके हैं। इस प्रकार कुल 412 एमएलडी की सीवेज उपचार क्षमता का सृजन होगा जो 2035 तक शहर की सीवेज प्रबंधन की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। 

दिखाए दे रहे सकारात्मक परिणाम
गंगा नदी में तैरते हुए कचरे की समस्या को दूर करने के लिए अप्रैल 2017 से वाराणसी में ट्रेश स्कीमर कार्य कर रहा है। गंगा के आसपास के क्षेत्र को समान रूप से साफ किए बिना स्वच्छ गंगा का काम अधूरा रहेगा। इसे स्वीकार करते हुए केंद्र सरकार ने पिछले साल नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत वाराणसी के 84 प्रतिष्ठित और पौराणिक घाटों की साफ-सफाई का काम शुरू किया, जिसके सकारात्मक परिणाम दिखाए दे रहे हैं।

किए जा रहे घाटों पर मरम्मत कार्य 
वाराणसी में 20.07 करोड़ रूपए की अनुमानित लागत से 153 सामुदायिक शौचालयों के निर्माण किया जा रहा है। जिसमें से 109 शौचालयों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है और 15,000 से 20,000 लोगों द्वारा इनका रोजाना इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा 26 स्थानों पर घाट सुधार कार्य किया जा रहा है और इतने ही घाटों पर मरम्मत कार्य किए जा रहे हैं। 

धोबियों को भेजा नए घाटों पर
घाटों पर कपड़ों की धुलाई से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए चार घाटों पांडेपुर, नदेसर, भवानी पोखरन और कोनिया की मरम्मत की गई है, जबकि तीन अन्य घाटों बजरदीहा, मचोदरी स्लॉटर हाउस और भवानिया पोखरी  का निर्माण कार्य चल रहा है। धोबी समुदाय के बहुत से लोग नए घाटों में चले गए हैं। अन्य धोबियों को भी ऐसा करने के लिए कहा जा रहा हैं। 

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