बनारसी साड़ी का घट रहा क्रेजः व्यापारी परेशान, ऊपर से GST लगा रही जले पर नमक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jul, 2017 03:57 PM

businessman troubled salt burns on top of gst

आजमगढ़ का मुबारकपुर रेशमी साड़ियों के उत्पादन और उसके कारोबार के लिए मशहूर है...

आजमगढ़(कुमार पितेश्वर): आजमगढ़ का मुबारकपुर रेशमी साड़ियों के उत्पादन और उसके कारोबार के लिए मशहूर है। यहां के लोग अपने घरों में हथकरघे लगाकर बुनाई का काम करते है। इनके द्वारा बनाई गई साड़ियों को देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बेची जाती है, लेकिन बनारसी साड़ी का क्रेज खत्म होने की वजह से बुनकरों का धंधा अब चौपट हो गया है। वहीं जीएसटी लगने के बाद से न तो कोई सामान आ रहा है और ना ही जा रहा है। अब बुनकरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है और वह भुखमरी के कागार पर आ गए हैं।

बता दें कि मुबारकपुर में लाखो लोग रोजी-रोटी के लिए हथकरघे का व्यवसाय करते आ रहे है। इस कारोबार से जुड़े व्यवसायी जहां करोड़पति होते गए, वहीं बुनकर आज भी साड़ी की मजदूरी करके कमाते है। इन बुनकरों को प्रति साड़ी पर उतनी मजदूरी नही मिल पाती कि वह अपने परिवार को ठीक ढंग से खिला व पढ़ा सके।

व्यापरियों ने कुछ यूं सुनाया अपना दर्द
बुनकर हफिजुल्ला ने बताया कि यह धंधा पहले से ही मंदा चल रहा था। जिसके कारण बुनकर अपने काम को बंद कर देश-विदेश में नौकरी कर रहे है। उन्होंने कहा कि जो काम चल रहा था वो भी नोटबंदी के कारण मंदा हो गया था। उससे थोड़ी राहत मिली तो जीएसटी ने कमर तोड़ दी। क्योंकि जीएसटी लगने के बाद से न कोई सामान आ रहा है और ना ही जा रहा है।

इस संबंध में दूसरे बुनकर बदरुद्दीन का कहना है कि उन्होंने अपना लूम बंदकर छोटी सी दुकान खोल ली है और उसी से अपने परिवार की रोजी-रोटी चला रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार नही चाहती है कि बुनकर आगे बढ़े। पहले लोग खुद यहां काम करने आते थे, लेकिन अब आना तो दूर यहां लोग खुद ही प्लायन कर रहे है।

साड़ी व्यवसायी इफ्तेखार अहमद ने कहा कि दूसरी जगहों से आकर लोग यहां काम करते थे, लेकिन वह तो सब लोग चले गए। इसके अलावा 15 हजार युवा मजदूर देश-विदेश में जाकर काम कर रहे है। क्योंकि काम के हिसाब से इनको यहां मजदूरी नही मिल पा रही थी इसी कारण मजबूर होकर उनको यह कदम उठाना पड़ रहा है।

नेशनल इंस्टीट्यूट आफ फैशन टेक्नालीजी दिल्ली की एक टीम बुनकरो का हाल जानने आई। इस संबंध में छात्रा वंदना ने कहा कि हम बुनकरो की स्थिति को सुधारना चाहते है और साथ ही हम इनपर किताब भी लिखेंगे और इस किताब से कॉलेज की तरफ से इनको स्पोर्ट मिलेगा।  

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