पिछड़ों के बाद अब ब्राह्मणों पर है भाजपा की नजर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 01 Sep, 2017 06:26 PM

bjp is now looking after brahmins after backward

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व की डा.महेन्द्र नाथ पाण्डेय ...

लखनऊः भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेतृत्व की डा.महेन्द्र नाथ पाण्डेय के हाथों में उत्तर प्रदेश की बागडोर सौंपकर ब्राह्मणों को साधने की कोशिश मानी जा रही है। योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद एक बड़ा तबका ब्राह्मणों की कथित उपेक्षा का आरोप लगाकर भाजपा के प्रति इस बिरादरी में मुखालफत का माहौल पैदा करने की कोशिश में लग गया था।

माना जा रहा है कि इसे देखते हुए नेतृत्व ने राज्य में पार्टी की बागडोर ब्राह्मण नेता को सौंपने की ठानी। राज्य में करीब 12 फीसदी मतदाता ब्राह्मण हैं। वर्ष 2014 और 2017 के चुनाव में ज्यादातर ब्राह्मण मतदाताओं ने भाजपा को समर्थन दिया था, लेकिन इधर कुछ दिनों से इस जाति के तमाम लोग उपेक्षा का आरोप लगाते हुए भाजपा से खिन्न दिख रहे थे। इनमें ज्यादातर ऐसे थे जिनका मानना था कि क्षत्रिय मुख्यमंत्री बनाकर ब्राह्मणों की उपेक्षा की गई है।

पाण्डेय को उत्तर प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष बनाकर पार्टी नेतृत्व ने इस तरह की अटकलों को विराम लगाने की कोशिश की है। उन के समक्ष 2019 का चुनाव चुनौती के रुप में है। निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य की अगुवाई में 2017 का विधानसभा चुनाव भाजपा ने लड़ा। भाजपा को कुल 403 सीटों में से विधानसभा की 312 सीटें हासिल हुई। 13 सीटों पर भाजपा समर्थित अपना दल और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के उम्मीदवार जीतने में सफल रहे।
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विधानसभा के पिछले आम चुनाव में लोकसभा के 76‘सेगमेंट’में भाजपा ने बढत बनाई थी। इसको बरकरार रखने के लिये पाण्डेय को कडी मशक्कत करनी पडेगी। यह उनके लिए एक बडी चुनौती मानी जा रही है। उधर, राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि यूं तो राष्ट्रपति किसी दल विशेष का नहीं होता, लेकिन भाजपा ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनवाकर दलितों को साधने की कोशिश की। दलितों के आदर्श बाबा भीमराव अम्बेडकर से जुडे 5 स्थलों को‘पंचतीर्थ’घोषित कर भाजपा की केन्द्र सरकार ने दलितों में अपनी पैठ बढाई। इसी वजह से दलितों की पार्टी माने जाने वाली बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती भाजपा से तमतमायी ही रहती हैं।‘पंचतीर्थ’की घोषणा और दलितों में अपनी पैठ जमाने के लिये लगातार प्रयासरत भाजपा को 2017 के विधानसभा चुनाव में इसका लाभ भी मिला।

4 बार मुख्यमंत्री रहने वाली मायावती की बसपा के केवल 19 विधायक जीत सके।   दलितों के बाद भाजपा ने उत्तर प्रदेश में पिछडों पर नजर गड़ा रखी है। समाजवादी पार्टी के पारंम्परिक वोट यादवों पर भी उसने डोरे डालना शुरु कर दिया है। इसी वजह से हाल ही में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने लखनऊ में सोनू यादव के यहां दोपहर का भोजन किया। भोजन करने से ज्यादा इसे प्रचारित करने में पार्टी ने खूब रुचि दिखाई।

पर्यवेक्षक मानते हैं भाजपा सन्देश देना चाहती है कि वह किसी जाति विशेष की नहीं बल्कि पूरे समाज की पार्टी है, खासकर बहुसंख्यकों की। उत्तर प्रदेश में सभी जातियों और वर्गो का समर्थन मिलने पर ही भाजपा 2019 में 2014 से मजबूत सरकार बनाने में सफल होगी। पार्टी अध्यक्ष शाह ने आगामी लोकसभा चुनाव में 360 सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है। उत्तर प्रदेश में 2014 से (71+2) अधिक सीटें जीतने पर ही लक्ष्य पूरा होगा। इधर, कुछ दिनों से भाजपा के प्रति ब्राह्मणों में मुखालफत की सुगबुगाहट सुनी जा रही थी। पर्यवेक्षक मानते हैं कि इसी सुगबुगाहट पर रोक लगाने के लिये भी उत्तर प्रदेश में पार्टी की बागडोर ब्राह्मण को सौंपी गई है। 

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