Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Nov, 2017 12:56 PM
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पिछले साल 8 नवंबर, 2016 को मोदी सरका...
लखनऊः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने नोटबंदी को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पिछले साल 8 नवंबर, 2016 को मोदी सरकार ने नोटबंदी की थी। उनके इस फैसले के पीछे जो भी कारण उन्होंने बताए थे वो सब खोखले साबित हुए हैं।
नोटबंदी से देश की अर्थव्यवस्था हुई अस्त-व्यस्त
अखिलेश यादव ने कहा कि 8 नवम्बर 2016 को 500 और 1000 रूपए के नोटों को चलन से बाहर करने की घोषणा ने देश की अर्थव्यवस्था अस्त व्यस्त कर दी। अपनी छवि चमकाने के लिए प्रधानमंत्री जी ने रिजर्व बैंक या मंत्रिमण्डलीय सहयोगियों को विश्वास में लिए बिना राजनीतिक फैसला लिया, जिससे 64 बार उन्हें नियम बदलने पड़े।
नकदी का प्रवाह हुआ बाधित
इसके साथ ही कहा कि कृषि इस देश की अर्थ व्यवस्था की रीढ़ है। रिजर्व बैंक मानता है कि नोटबंदी के नए नियमों के कारण नकदी का प्रवाह बाधित हुआ। फलस्वरूप किसान को सस्ते में अपनी फसल बेचनी पड़ी है। कई किसानों को कर्ज में डूबे होने के कारण आत्महत्या करनी पड़ी रही है। नोटबंदी की मार सबसे ज्यादा असंगठित क्षेत्र पर पड़ी क्योंकि यह क्षेत्र नकदी से संचालित होता है।
नोटबंदी का सबसे बुरा शिकार गरीब आदमी रहा
उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र की देश की अर्थव्यवस्था में 45 फीसदी हिस्सेदारी हैं।जिसमें 93 फीसदी में नकारात्मक प्रभाव पड़ने से हमारी विकास दर में भी गिरावट आ गई है। बिल्डिंग उद्योग में लगे करोड़ों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। भाजपा सरकार ने कहा था कि करीब 3 लाख करोड़ का कालाधन रद्द हो जाएगा पर वह सारा धन वापस आ गया। कालाधन सफेद हो गया। नोटबंदी का सबसे बुरा शिकार गरीब आदमी रहा जो इस आपदा से उबर नहीं पा रहा है।
लेन-देन काला सफेद होता है, रुपया काला सफेद नहीं
सरकार के इस अदूरदर्शिता पूर्ण निर्णय से आर्थिक जगत में अराजकता का माहौल पैदा हुआ है। बेरोजगारी के साथ निर्माण कार्य बंद होने का दंश जनता को झेलना पड़ रहा है। यादव ने कहा कि वे शुरु से ही कहते आ रहे हैं कि रुपया काला सफेद नहीं होता है, लेन-देन काला सफेद होता है।
जारी किए नोट 99 प्रतिशत वापस आ गए:- रिजर्व बैंक
प्रधानमंत्री ने काले धन का हौवा खड़ा किया पर स्वयं रिजर्व बैंक की रिपोर्ट कहती है कि जो नोट उसने जारी किए थे उसमें से 99 प्रतिशत वापस आ गए हैं। आतंकी गतिविधियां रोकने के दावों की हकीकत यह है कि कश्मीर घाटी में पहले से ज्यादा आतंकी घटनाएं घटी है। नक्सली गतिविधियां भी थमी नहीं है।