बाहूबली मुख्तार अंसारी की पार्टी का सपा में होगा विलय, मुलायम खुद करेंगे ऐलान!

Edited By ,Updated: 28 Sep, 2016 03:47 PM

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एक बार फिर कौमी एकता दल के सपा में विलय को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। खबर है कि विलय के लिए तैयारियां पूरी हो गई हैं।

लखनऊ: एक बार फिर कौमी एकता दल के सपा में विलय को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। खबर है कि विलय के लिए तैयारियां पूरी हो गई हैं। सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव इस बार खुद इस फैसले का ऐलान करेंगे। 

अखिलेश की जिद पर विलय हुआ था रद्द 
कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय को लेकर पहली बार चाचा और भतीजा आमने सामने हुए थे और अब तक मुलायम परिवार में घमासान जारी है। शिवपाल यादव ने 21 जून को विलय कराया था और अखिलेश यादव इस फैसले के खिलाफ खड़े हो गए थे। बात इतनी बढ़ गयी कि मुलायम सिंह को पार्टी के पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक बुलानी पड़ी। इस मीटिंग में शिवपाल यादव अकेले पड़ गए अखिलेश की जिद के आगे किसी की नहीं चली और आखिरकार कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय 25 जून को ही रद्द हो गया। शिवपाल यादव खून का घूँट पी कर रह गए, नेताजी भी मौन रहे लेकिन अब सब कुछ बदल गया है। 

जल्द होगा विलय का ऐलान 
बदले हुए माहौल में अखिलेश की जगह शिवपाल यादव समाजवादी पार्टी के यूपी अध्यक्ष बन गए है। पार्टी से लेकर सरकार के सभी बड़े फैसले मुलायम सिंह कर रहे हैं। उन्होंने मुख्तार की पार्टी के समाजवादी पार्टी में विलय को हरी झंडी दे दी है। अब वे चाहते है जल्द से जल्द इसका एलान भी हो जाए। अफजाल अंसारी की बीमारी से अब तक एलान नहीं हो पाया था। 

पहले भी रह चुके हैं मुलायम के साथ 
अब से छह साल पहले 2010 में कौमी एकता दल बना था। अफजाल अंसारी इस पार्टी के अध्यक्ष हैं। उनके भाई मुख्तार और सिबगतुल्लाह अंसारी विधायक हैं। यूपी का बच्चा बच्चा मुख्तार को जानता है। पिछले 11 साल से वह जेल में बंद हैं। अंसारी भाईयों में सबसे छोटे मुख्तार पर बीजेपी विधायक की हत्या समेत दो दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। वे पहले भी मुलायम और मायावती दोनों के साथ रह चुके हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ वे वाराणसी से बीएसपी की टिकट पर लोक सभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं। मुख्तार के बड़े भाई अफजाल भी समाजवादी पार्टी के सांसद रह चुके हैं। एक तरह से अंसारी ब्रदर्स की ये घरवापसी है। पूर्वांचल में गोरखपुर, आजमगढ़, मऊ, जौनपुर, गाजीपुर, वाराणसी, चंदौली और बलिया जिलों में अंसारी एक बड़ा फैक्टर रहे हैं। पिछले 25 सालों से असेम्बली और लोक सभा चुनावों में अंसारी अपना दम दिखाते रहे हैं। 

अंसारी फैक्टर के सहारे मुस्लिम वोट बैंक पर नजर 
अंसारी फैक्टर पर सवार होकर मुलायम सिंह पूर्वांचल में मुस्लिम वोट के जुगाड़ में हैं। नेताजी को लगता है मुख्तार और अफज़़ल उनकी साइकिल थाम लेंगे लेकिन अखिलेश अब भी ऐसा नहीं चाहते है. विलय का विरोध करते हुए उन्होंने कहा था ‘मुख्तार जैसे नेताओं की हमें जरुरत नहीं, समाजवादी पार्टी में उनका क्या काम’ लेकिन अब अगले चुनाव में अखिलेश और मुख्तार जिंदाबाद के नारे साथ साथ लगेंगे। 

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