गायत्री प्रजापति को दोबारा मंत्री बनाए जाने के खिलाफ दायर याचिका पर HC से राहत

Edited By ,Updated: 23 Oct, 2016 02:00 PM

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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को मंत्री बनाए जाने के खिलाफ याचिका खारिज कर दी।

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गायत्री प्रसाद प्रजापति को मंत्री बनाए जाने के खिलाफ याचिका खारिज कर दी। समाजसेवी नूतन ठाकुर ने उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार में मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति को दोबारा मंत्री बनाए जाने के खिलाफ याचिका दायर की थी जिसे न्यायालय की लखनऊ पीठ ने खारिज कर दिया।

प्रजापति को दोबारा मंत्री नहीं बनाया जा सकता
यह फैसला मुख्य न्यायाधीश दिलीप बाबासाहेब भोसले और न्यायमूर्ति राजन राय की पीठ ने दिया। याची की दलील थी कि गायत्री प्रजापति को राज्य सरकार द्वारा सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ दायर प्रार्थनापत्र के खारिज होने के बाद हटाया गया और इसके साथ उन्होंने राज्यपाल का विश्वास खो दिया था। इसलिए उन्हें दोबारा मंत्री नहीं बनाया जा सकता। अदालत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने मनोज नरूला मामले में यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी व्यक्ति को मंत्री बनाने का विशेषाधिकार प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री का है और इस पर न्यायिक पुनरीक्षण नहीं हो सकता है। 

गायत्री प्रजापति पर चल रही जांच
यद्यपि यह उनसे भी अपेक्षित है कि वे राष्ट्रपति या राज्यपाल को सही राय दें और आपराधियों, खास कर गंभीर अपराधों और भ्रष्टाचार के आरोपियों, को मंत्री न बनाएं। न्यायालय का कहना था कि गायत्री प्रजापति पर कई गंभीर आरोप हैं पर यह मुख्यमंत्री के अधिकारक्षेत्र का मामला है. चूंकि इस सम्बन्ध में कोई संवैधानिक अयोग्यता नहीं बताई गई है। इसलिए अदालत के हाथ न्यायिक अधिकारों की सीमाओं के कारण बंधे हैं हालांकि प्रजापति पर चल रही जांच, मुकदमे आदि पूर्ववत चलते रहेंगे।

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