मुजफ्फरनगर दंगा केस: अब BJP नेताओं को बचाने की तैयारी में योगी सरकार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jan, 2018 07:31 AM

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने के बाद अब सूबे की सरकार मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान कानून के शिकंजे में आए भाजपा नेताओं को राहत देने की तैयारी में है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ दर्ज केस वापस लेने के बाद अब सूबे की सरकार मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान कानून के शिकंजे में आए भाजपा नेताओं को राहत देने की तैयारी में है। सरकार ने 2013 के मुजफ्फरनगर दंगा केस में भाजपा नेताओं के खिलाफ अदालत में लंबित 9 आपराधिक मामलों को वापस लेने की संभावना पर सूचना मांगी है। यह जानकारी राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा जिलाधिकारी को लिखे गए पत्र में मिली है। दरअसल, दंगों के आरोप में मंत्री सुरेश राणा, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, सांसद भारतेंदु सिंह, विधायक उमेश मलिक और पार्टी नेता साध्वी प्राची के खिलाफ केस दर्ज हैं।

5 जनवरी को लिखा गया पत्र
जिलाधिकारी को 5 जनवरी को लिखे पत्र में उत्तर प्रदेश के न्याय विभाग में विशेष सचिव राज सिंह ने 13 बिंदुओं पर जवाब मांगा है। इनमें जनहित में मामलों को वापस लिया जाना भी शामिल है। पत्र में मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक का विचार भी मांगा गया है। हालांकि, पत्र में नेताओं के नाम का जिक्र नहीं है लेकिन उनके खिलाफ दर्ज मामलों की फाइल संख्या का जिक्र है। बता दें कि समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार के दौरान पश्चिमी यूपी के मुजफ्फरनगर में भीषण दंगा हुआ था। मुजफ्फरनगर और आसपास के इलाकों में अगस्त-सितम्बर 2013 में हुए सांप्रदायिक दंगे में 60 लोग मारे गए थे और 40 हजार से अधिक लोग बेघर हुए थे। इस दंगे के बाद भाजपा ने सपा सरकार पर गलत ढंग से कानून कार्रवाई के आरोप लगाए थे। भाजपा के कई नेताओं पर दंगों से जुड़े केस चल रहे हैं, जिन्हें खत्म करने पर योगी सरकार विचार कर रही है।

योगी के खिलाफ केस वापस
इससे पहले दिसम्बर में सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ केस वापस लेने का आदेश जारी किया गया था। योगी के अलावा शिव प्रताप शुक्ल, विधायक शीतल पांडेय और 10 अन्य के खिलाफ धारा-188 के तहत लगे केस वापस लेने का आदेश जारी किया गया है। सरकार की तरफ  से ये आदेश गोरखपुर जिलाधिकारी को केस वापस लेने के लिए दिया गया है। बता दें कि यह मामला गोरखपुर के पीपीगंज पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। इस मामले में स्थानीय कोर्ट ने आरोपियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था।

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