SC द्वारा अयोध्या मामले पर आए फैसले का सब करें स्वागत: स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती

Edited By Ajay kumar,Updated: 09 Nov, 2019 01:38 PM

welcome all the verdict on ayodhya case by sc swami jitendranand saraswati

उच्चतम न्यायालय द्वारा अयोध्या मामले पर आए फैसले का स्वागत करते हुए अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सबको स्वागत करना...

अयोध्या: उच्चतम न्यायालय द्वारा अयोध्या मामले पर आए फैसले का स्वागत करते हुए अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का सबको स्वागत करना चाहिए। उन्होंने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने यह माना है कि अयोध्या में रामलला की जमीन है। सर्वोच्च न्यायालय ने उस जमीन पर से अन्य लोगों के दावे को खारिज कर दिया है। दुनिया की सबसे बड़ी संत समिति सबसे बड़े हिन्दू संगठन और विश्व हिंदू परिषद के प्रेस वार्ता के बाद उन्होंने बताया कि हिन्दू संगठन आपस में वार्ता करके अपना पक्ष रखेगी की फैसले से वो संतुष्ट हैं या नहीं।

बता दें कि अखिल भारतीय संत समिति के अध्यक्ष स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने श्रीराम के गुणों का किस तरह बखान किया।

आओं जानें-

1: श्रीराम का श्रीराम चरितमानस में लौकिक व अलौकिक दोनों स्वरूप का वर्णन है। भगवान शिव माता सती को श्रीराम के अलौकिक स्वरूप का वर्णन करते हैं जो ब्रम्ह स्वरूप है। लौकिक स्वरूप का वर्णन बाल कांड के अंत में मिलता है जब सखियां माता सीता से राम और लक्ष्मण दोनों भाई के सौंदर्य का बखान करती हैं।

2: चाहे गुरु विश्वामित्र के सानिध्य में शिक्षा ग्रहण की बात हो या भगवान परशुराम से संवाद हो या फिर पिता के द्वारा दिये जाने वाले वनवास के वचन का पालन हो या रावण से युद्ध सभी परिस्थितियों में श्रीराम ने अपने आचरण से मर्यादा पुरुषोत्तम होना का साक्ष्य प्रस्तुत किया है।

3: सीता ने अपने विवाह के बाद कभी अपने नइहर(मायका) को याद नहीं किया यानी की नइहर के सुख को कभी याद नहीं किया और ससुराल में श्रीराम के साथ वनवास के पालन को स्वीकार किया और कभी दुखों में किसी से फरियाद नहीं किया। किसी स्त्री को परिवार को चलाने के लिए सीता के चरित्र से समझा जा सकता है।

4: जब भगवान राम सीता माता के सौंदर्य का वर्णन लक्ष्मण के सामने करते हैं तो लक्ष्मण कहते हैं कि उन्होंने तो सिर्फ माता सीता के चरण ही देखे हैं। यही नहीं लक्ष्मण भगवान राम के सबसे बड़े राजदार थे। कहीं न कहीं लक्षमण की मर्यादा राम से बड़ी नजर आती है क्योंकि लक्ष्मण शेषनाग के अवतार थे और शेषनाग भगवान विष्णु के शैया का काम करता था।

 

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