Edited By Deepika Rajput,Updated: 26 Dec, 2018 03:29 PM
शिक्षा के तमाम लक्ष्य हासिल करने के बाद भी आज भी दुनिया के कई देश शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। हालांकि, कुछ देश ऐसे भी है, जहां शिक्षकों की नियुक्ति का अनुपात अच्छा रहा है।
लखनऊः शिक्षा के तमाम लक्ष्य हासिल करने के बाद भी आज भी दुनिया के कई देश शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। हालांकि, कुछ देश ऐसे भी हैं, जहां शिक्षकों की नियुक्ति का अनुपात अच्छा रहा है।
सेंटर फॉर बजट एंड गवर्नेंस अकाउंटबिलिटी और चाइल्ड राइट एंड यू नाम की संस्थाओं की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश और बिहार के हालात सबसे चिंताजनक है। 6 राज्यों के पड़ताल में यूपी और बिहार ऐसे राज्य हैं, जहां सबसे ज्यादा कुल 4.2 लाख शिक्षकों के पद खाली हैं। वहीं इन सब में तमिलनाडु और महाराष्ट्र का प्रदर्शन बेहतर है। इन दोनों राज्यों ने अपने यहां तकरीबन 95 फीसदी शिक्षकों की नियुक्ति कर डाली है।
रिपोर्ट के मुताबिक बिहार के प्राथमिक स्कूलों में 38.7 फीसदी अध्यापक प्रोफेशनली ट्रेंड नहीं हैं। वहीं, सेकेंडरी लेवल पर ऐसे अध्यापकों की संख्या यहां 35.1 फीसदी है।