उलेमा कौंसिल की धमकी: SP-BSP गठबंधन में हमें भी बनाओ हिस्सेदार

Edited By Anil Kapoor,Updated: 23 Jan, 2019 09:42 AM

ulema council threat make us even in sp bsp coalition partners

विधानसभा चुनाव में BSP की सहयोगी रही राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने SP-BSP गठबंधन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इस अलायंस में मुसलमानों को ठगा गया है जबकि वोट प्रतिशत के हिसाब से वे सबसे अधिक हैं।

 

आजमगढ़: विधानसभा चुनाव में BSP की सहयोगी रही राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने SP-BSP गठबंधन पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इस अलायंस में मुसलमानों को ठगा गया है जबकि वोट प्रतिशत के हिसाब से वे सबसे अधिक हैं। उन्होंने धमकी दी है कि कौंसिल के साथ ही दूसरे मुस्लिम नेतृत्व वाले दलों को भी गठबंधन में शामिल किया जाए वर्ना SP-BSP के खिलाफ एक नया गठबंधन बनाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि सैक्युलरिज्म के नाम पर बने इस तथाकथित गठबंधन में मुसलमान खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। 70 साल से सैक्युलरिज्म की बुनियाद को मजबूत रखने के लिए मुसलमानों ने परम्परागत तरीके से सपा-बसपा और ऐसी पार्टियों को ही वोट दिया, पर अब जो गठबंधन बना है उसमें मुस्लिम नेतृत्व वाले दलों को दूर रखना सपा-बसपा की राजनीतिक दुर्भावना है। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को अब खैरात में सपा-बसपा के प्रतिनिधि नहीं चाहिए बल्कि मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता चाहिएं जो समाज के मसलों को सड़क से संसद तक बिना दबाव के उठाकर उनका हल करवा सकें। उनका कहना है कि 7 प्रतिशत यादव और 11 प्रतिशत जाटव के नाम पर सपा-बसपा ने आपस में 38-38 सीटें बांट लीं और 22 प्रतिशत मुस्लिम समाज के नेताओं को कुछ नहीं मिला। दोनों पार्टियां सिर्फ भाजपा का डर दिखाकर मुसलमानों के वोट लेना चाहती हैं।

रशादी ने कहा है कि सपा-बसपा के गठबंधन में मुस्लिम नेतृत्व वाले दलों को नकारने के पीछे भाजपा का डर दिखाकर मुसलमानों का वोट लेने और मुस्लिम नेतृत्व वाले उभरते दलों को रोकने की मंशा साफ नजर आती है। यह मिलन दोनों पार्टियों ने अपना अस्तित्व बचाने के लिए किया है। उन्होंने मायावती और अखिलेश यादव से सवाल किया है कि आखिर गठबंधन में मुसलमानों के लिए जगह क्यों नहीं है जबकि कांग्रेस के लिए 2 सीटें और 1.5 फीसदी वोट वाली पार्टियों के लिए 2 सीटें छोड़ी गईं। इस हिसाब से मुस्लिम नेतृत्व वाले दलों की 16 सीटें बनती हैं। कम से कम 10 सीटें छोड़ी जानी चाहिए थीं।

उन्होंने यह भी सवाल उठाया है कि मुस्लिम प्रतिनिधित्व के लिए दोनों पार्टियों को अपने मंसूबे का खुलासा करना चाहिए। मुसलमान आखिर कब तक सैक्युलरिज्म के कुली बनकर इन दलों को सत्ता तक पहुंचाते रहेंगे। 2017 में कौंसिल ने बसपा के लिए अपने सभी प्रत्याशियों के नाम वापस ले लिए थे। बिना किसी फायदे के समर्थन दिया था। पूर्वांचल की बसपा की सीटों पर जीत में कौंसिल की निर्णायक भूमिका रही। उन्होंने मांग की है कि सपा-बसपा गठबंधन में राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल व दूसरे ऐसे दलों को भी जगह दी जाए।

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!