पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाट लैंड में इस बार भाजपा के उम्मीदवारों से मोदी लहर का सामना

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 03 Apr, 2019 11:25 AM

this time in jat land of western uttar pradesh

मैं मोदी का फैन हूं और मैंने पिछली बार मोदी को ही वोट दिया था, लेकिन हमारे यहां काम तो कुछ हुआ नहीं। जिसे मोदी के नाम पर जिताया, वह मिलता नहीं। शिकायत भी नहीं कर सकते। यह टिप्पणी अकेले केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोकसभा क्षेत्र सहारनपुर के एक...

मुजफ्फरनगर/सहारनपुरः मैं मोदी का फैन हूं और मैंने पिछली बार मोदी को ही वोट दिया था, लेकिन हमारे यहां काम तो कुछ हुआ नहीं। जिसे मोदी के नाम पर जिताया, वह मिलता नहीं। शिकायत भी नहीं कर सकते। यह टिप्पणी अकेले केवल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोकसभा क्षेत्र सहारनपुर के एक पेट्रोल पंप पर काम करने वाले युवा सतबीर यादव की नहीं है। लोकसभा चुनावों के पहले चरण के लिए मतदान करने जा रहे मुजफ्फरनगर, बागपत, कैराना और गाजियाबाद के मतदाताओं में कई ऐसे हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ तो करते हैं पर भाजपा के स्थानीय उम्मीदवारों को वोट नहीं देना चाहते।

पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आठ लोकसभा क्षेत्रों में मतदान होना है और जहां भी सपा-बसपा गठबंधन का उम्मीदवार मजबूत स्थिति में है वहां मोदी के शुभचिंतकों में यह दुविधा है। मुजफ्फरनगर में भाजपा के एक पदाधिकारी ने नाम न लिखे जाने का आग्रह करते हुए बताया कि पार्टी को संघ (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) के दबाव में संजीव बालियान को टिकट देना पड़ा और उसी के चलते आसपास के लोकसभा क्षेत्रों में भी उम्मीदवार नहीं बदले गए।

पदाधिकारी ने स्वीकार किया कि उम्मीदवार न बदले जाने का नुकसान पार्टी को हो सकता है। मुजफ्फरनगर में भाजपा के लिए चिंता की दूसरी वजह विपक्षी गठबंधन के उम्मीदवार राष्ट्रीय लोकदल के नेता चौधरी अजित सिंह के प्रति जाट समुदाय की सहानुभूति होना और गन्ना किसानों का भुगतान न होने से उपजी नाराजगी है। बालियान पिछली बार मोदी लहर पर सवार होकर चार लाख से अधिक वोटों से जीते थे। रालोद को उम्मीद है कि इस बार जाट वोटों में विभाजन और सपा-बसपा के समर्थन के कारण मुस्लिम, दलित व पिछड़ा वर्ग के झुकाव का उन्हें फायदा मिलेगा। अजित सिंह की तरह बालियान भी जाट समुदाय से हैं।

अजित सिंह के एक समर्थक और दिल्ली-मुजफ्फरनगर राष्ट्रीय राजमार्ग पर ढाबा चलाने वाले रवींद्र अहलावत ने कहा, जाटों की नाराजगी तीन मसलों पर है। पहला, हमारे नेता अजित सिंह से केंद्र सरकार ने अच्छा सुलूक नहीं किया। उनकी कोठी (राजधानी में सांसद के तौर पर आवंटित सरकारी मकान) खाली करवाई। दूसरा, गन्ना किसानों का भुगतान नहीं हुआ और तीसरा, यूपीए ने जाट आरक्षण का फैसला किया पर भाजपा के समय उसे सर्वोच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया। अहलावत ने यह भी कहा, मैं चाहता हूं नरेंद्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनें पर यहां से तो अजित सिंह को जिताना है।

भाजपा ने बागपत में केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह को उम्मीदवार बनाया है और यहां अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी गठबंधन के उम्मीदवार हैं। कांग्रेस ने यहां उम्मीदवार नहीं दिया है। यहां भी नरेंद्र मोदी और भाजपा की चिंता की वही वजहें दिखती हैं जो मुजफ्फरनगर, गाजियाबाद और सहारनपुर में हैं। स्थानीय सांसद को फिर से टिकट दिए जाने से असंतोष और गठबंधन की मजबूती।

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