संगम नगरी प्रयागराज की दीवारें भी बताएंगी महाकुंभ का महत्व,  महाकुंभ की परंपरा और समुद्र मंथन का भी दीवारों पर होगा चित्रण

Edited By Imran,Updated: 24 Oct, 2024 07:04 PM

the walls of sangam city prayagraj will also tell the importance of maha kumbh

संगम नगरी में लगने वाला महाकुंभ 2025 बेहद ख़ास होने वाला है। शहर की दीवारें महाकुंभ के दौरान धर्म और अध्यात्म की अलख जगाते हुए देखी जाएंगी।

प्रयागराज ( सैय्यद आकिब रज़ा): संगम नगरी में लगने वाला महाकुंभ 2025 बेहद ख़ास होने वाला है। शहर की दीवारें महाकुंभ के दौरान धर्म और अध्यात्म की अलख जगाते हुए देखी जाएंगी। पहली बार करीब 10 लाख स्क्वायर फीट दीवार पर इसका चित्रण किया जाना है जिसमें 5 लाख स्क्वायर फीट पर किया जा रहा है बाकी की दीवारें चिन्हित की जा रही है।

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आपको बता दे महाकुंभ के इतिहास चित्रण शहर की दीवारों पर दिखाई देगा, संत ऋषि ने कैसे कुंभ की परंपरा को आगे बढ़ाया, इसको भी चित्रण के जरिए दीवारों पर श्रद्धालु देख सकेंगे। करीब 18 करोड़ के बजट से शहर और महाकुंभ क्षेत्र में जानें वाली सड़कों के किनारे की दीवारों पर इसका चित्रण किया जा रहा है। जिसमें संत महत्मा और सनातन संस्कृति से जुड़े चित्रण श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र होंगें। ख़ास बात यह है कि इस चित्रण में भगवान राम और श्रीकृष्ण को दर्शाया जाएगा। इसकेे साथ ही समुंद्र मंथन का भी चित्रण किया जाएगा, जिससे कुंभ के परंपरा की शुरूआत को श्रद्धालु चित्रण के जरिए समझ सकें।
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अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने बताया कि मेला क्षेत्र और शहर के प्रमुख स्थलों की दीवारें और फ्लाईओवर भगवान राम, श्रीकृष्ण, भगवान भोलेनाथ और देवी-देवताओं का बखान करेंगी। उन्होनें बताया कि पेंट माई सिटी के तहत इस बार देवी देवताओं के अलावा गंगा अवतरण की पूरी कहानी के साथ इनमे पलने वाले जीव जंतुओं को भी चित्रण के जरिए दर्शाया जाएगा। उन्होनें बताया कि करीब 10 लाख स्क्वायर फीट दीवार पर इसका चित्रण किया जाना है। चित्रण के पहले चरण के कार्य की शुरुआत मेला प्राधिकरण कार्यालय से हो चुकी है। अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी के मुताबिक पेंट माई पेंट सिटी के तहत कुल आठ संस्थाओं का चयन इस पूरे कार्य के लिए किया गया है। ये संस्थाएं मुंबई, पुणे, राजस्थान समेत अन्य स्थानों की हैं।
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इसके साथ ही इलाहाबाद विश्विद्यालय, ट्रिपल आईटी और बीएचयू के कई बद्धिक शैक्षिक लोगों को भी जोड़ा गया है। बाहरी संस्थाओं को 20 फीसदी स्थानीय कलाकार रखने हैं, ताकि स्थानीय कलाकारों को भी रोज़गार के संसाधन पेंट माय सिटी के तहत उपलब्ध कराए जा सकें।

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