Edited By Ajay kumar,Updated: 20 Feb, 2023 08:17 PM
सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ और सुविधाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने जरूरत भर के डॉक्टरों की भरपाई के लिए तमाम प्रयास किए हैं, बावजूद इसके, अधिकांश अस्पताल डॉक्टरों की कमी का दंश झेल रहें हैं।
लखनऊ: सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ और सुविधाओं को देखते हुए राज्य सरकार ने जरूरत भर के डॉक्टरों की भरपाई के लिए तमाम प्रयास किए हैं, बावजूद इसके, अधिकांश अस्पताल डॉक्टरों की कमी का दंश झेल रहें हैं। अस्पताल प्रशासकों का यह दर्द आंतरिक हैं, जिसे वह खुल कर बयां भी नहीं कर सकते हैं क्योंकि विभिन्न योजना अंतर्गत मौजूद डॉक्टरों की संख्या को जोड़ने के बाद स्थाई पदों की संख्या के लगभग बराबर हैं।
बलरामपुर अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी
बलरामपुर अस्पताल में डॉक्टरों के स्थाई पदों की संख्या 101 के सापेक्ष 61 डॉक्टर कार्यरत हैं। इसके अलावा रिटायर होने के बाद पुनःर्नियोजन में केवल आठ डॉक्टर ही कार्यरत हैं। इसके लिए हास्पिटल स्ट्रेथनिंग प्रोग्राम के तहत स्वीकृत 11 पदों में चार पद रिक्त हैं, इसके अलावा जिला स्वास्थ्य समित के तहत स्वीकृत पदों में छह पद रिक्त हैं। अस्पताल के निदेशक डॉ. रमेश गोयल का कहना है कि कोई भी काम हर डॉक्टर से नहीं लिया जा सकता है। इसलिए कार्य बटवारे में मशक्कत करनी पड़ती है।
लोकबन्धु राजनारायण हास्पिटल में स्थाई डॉक्टरों के तीन पद रिक्त
इसी प्रकार लोकबन्धु राजनारायण हास्पिटल की बात करें तो स्थाई डॉक्टरों के तीन पद रिक्त हैं, इसके अलावा हास्पिटल स्ट्रेथनिंग प्रोग्राम के तहत स्वीकृत 27 पदों में केवल 18 कार्यरत हैं नौ पद रिक्त हैं। पुनर्नियोजन के डॉक्टरों की संख्या हर माह घटती बढ़ती रहती है। अस्पताल की निदेशक डॉ. दीपा त्यागी ने बताया कि अस्पताल में मरीजों की जरूरत के अनुसार डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई जाती है। मरीजों की भीड़ के आगे डॉक्टरों की सुविधाओं को तवज्जों नहीं दी जा सकती है।