Edited By Prashant Tiwari,Updated: 19 Nov, 2022 12:47 PM

भारतीय समाज में किसी के मृत्यु के तेरह दिन बाद मृत आत्मा की शांति के पूजन के बाद पुरोहितों के साथ ही रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों व गांव वालों को ब्रह्मभोज देने का चलन है।
गाजीपुर (आरिफ वारसी) : भारतीय समाज में किसी के मृत्यु के तेरह दिन बाद मृत आत्मा की शांति के पूजन के बाद पुरोहितों के साथ ही रिश्तेदारों, जान-पहचान वालों व गांव वालों को ब्रह्मभोज देने का चलन है। इस चलन का विरोध करते हुए गाजीपुर के जंगीपुर के विधायक डॉ बीरेंद्र यादव ने कहा है कि इस प्रथा का सती प्रथा के तर्ज पर वह इसको भी खत्म करने का अभियान शुरु करेंगे। उन्होंने राजा राम मोहन राय द्वारा विधवा विवाह के चलन को बढ़ावा देने की बात पर बल देते हुए। मृत्यु के बाद ब्रह्मभोज के चलन को सामाजिक कुरीति बताकर इसे बंद करने के लिए मुहिम छेड़ने की बात कही है।

सैफई के तर्ज पर गाजीपुर में भी करेंगे शुरुआत
आपको बता दें कि गाजीपुर के जंगीपुर से विधायक डॉ बीरेंद्र यादव ने जिले में कंबल वितरण कार्यक्रम के दौरान कहा कि तेरहवीं का चलन सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के गांव सैफई में लोगों ने बहुत पहले बंद कर दिया था। सैफई के लोगों का मानना है कि तेरहवीं का भोज करने से आर्थिक बोझ पड़ता है। एक तरफ लोग अपनों से बिछड़ने के गम में डूबे होते हैं। दूसरी ओर भोज का आयोजन ठीक नहीं लगता है। इसी के तर्ज पर अखिलेश यादव ने नेता जी मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद उनकी तेरहवीं का भोज न कर व्यापक रूप से प्रार्थना सभा का आयोजन किया था।

ब्रह्मभोज के खिलाफ चलाएंगे मुहिम
गाजीपुर जिले के जंगीपुर सीट से सपा की टिकट पर दूसरी बार विधायक बने डॉ बीरेंद्र यादव ने ब्रह्मभोज को ब्राह्मणों द्वारा बनाई गई श्राद्ध उपरांत परंपरा बताया है। सपा विधायक ने मुहिम बना कर इस परंपरा का सार्वजनिक रूप विरोध करने का मन बना लिया है। इसके लिए वे अपने सोशल मीडिया अकाउंट से व व्यक्तिगत रूप से लोगो से मिलकर ब्रह्मभोज के कार्यक्रम को न करने की अपील भी कर रहे हैं।