Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 28 Jan, 2021 11:28 AM
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पारित एक आदेश में कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता के लिए कार्यवाही त्वरित प्रकृति की है और इसका उद्देश्य आवेदक
प्रयागराज: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को पारित एक आदेश में कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता के लिए कार्यवाही त्वरित प्रकृति की है और इसका उद्देश्य आवेदक को तत्काल राहत उपलब्ध कराना है। अदालत ने कहा कि इस प्रावधान का उद्देश्य पत्नी को खानाबादोशी से रोकना है क्योंकि उसे गुजारा भत्ता प्राप्त होने से पहले कई वर्षों तक इंतजार करना पड़ता है और इस दौरान उसे बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
न्यायमूर्ति डाक्टर वाई.के. श्रीवास्तव ने अलख राम द्वारा सीआरपीसी की धारा 482 के तहत दाखिल एक आवेदन पर यह आदेश पारित किया। अलख राम ने मजिस्ट्रेट के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें गुजारा भत्ता के आदेश का उल्लंघन किए जाने पर मजिस्ट्रेट ने सीआरपीसी की धारा 125 के तहत आदेश पारित किया था। अदालत ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 125 एक सामाजिक उद्देश्य प्राप्त करने के लिए लागू की गई थी जिसका प्राथमिक उद्देश्य महिला, बच्चे और अशक्त माता पिता को सामाजिक न्याय देना है ताकि उन्हें इधर उधर भटकने से बचाया जा सके।
कोर्ट ने कहा कि इसका लक्ष्य महिलाओं, बच्चों और अभावग्रस्त माता पिता को त्वरित राहत उपलब्ध कराना है। अदालत ने आवेदक पति का आवेदन खारिज करते हुए कहा कि सीआरपीसी के प्रावधान सामाजिक कानून के उपाय हैं और इस कानून में उल्लिखित व्यक्तियों के कल्याण एवं लाभ के लिए इसे उदारता के साथ क्रियान्वित किया जाना है जिससे धारा 125 के तहत पारित आदेश के मुताबिक गुजारा भत्ता दिया जा सके।