Edited By Prashant Tiwari,Updated: 04 Feb, 2023 01:24 PM
सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के रामचरितमानस (Ramcharitmanas) को लेकर दिए गए बयान (Statement) के बाद विवाद (Controversy) थमने का नहीं ले रही हैं। शनिवार को जिले के शिकोहाबाद (Shikohabad) पहुंचे प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री...
फिरोजाबाद (अरशद अली) : सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) के रामचरितमानस (Ramcharitmanas) को लेकर दिए गए बयान (Statement) के बाद विवाद (Controversy) थमने का नहीं ले रही हैं। शनिवार को जिले के शिकोहाबाद (Shikohabad) पहुंचे प्रदेश के पूर्व उपमुख्यमंत्री (former deputy chief minister) दिनेश शर्मा (Dinesh Sharma) ने मौर्य के बहाने सपा पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) सनातन धर्म व सनातन संस्कृति का अपमान करना बंद करें। ग्रंथों को जलाने से अच्छा है कि उनके व उनके नेताओं के मन में जो अलगाववाद (Isolationism) की विषैली ग्रंथी है उसको जलाए।
मोदी जी के जैसा विकास मॉडल लाए
दिनेश शर्मा ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि जो नेता समाज के लोगों में जाति व वर्ण व्यवस्था (caste system) को लेकर नफरत (Hate) पैदा करके चुनाव जीतने (win the election) का सपना देख रहे हैं। मैं उनको बता दूं कि वह इस कार्य में कभी सफल नहीं होंगे। वह लोग पहले भी प्रदेश में सरकार बना चुके हैं लेकिन कोई ठोस विकास कार्य नहीं किया इसलिए अब वह विपक्ष में हैं। पहले वह लोग आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी जैसा विकास का मॉडल लाए तब मुकाबला करें। यह लोग आधार हीन हैं।
अलगाववाद की विषैली ग्रंथि को जलाए सपा नेता
पत्रकारों ने जब दिनेश शर्मा से रामचरितमानस के पन्नों को जलाने को लेकर जब सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि मैं सपा नेताओं को सलाह देता हूं कि वह लोग हिंदुओं की पवित्र धार्मिक ग्रंथ को जलाने से बेहतर हैं, वह अपने मन के अन्दर जो अलगाववाद की विषैली ग्रंथि को जलाए। ग्रंथ जलाकर लोगों की भावनाओं को दूषित न करें, मन मे जो जातिवाद, संप्रदायवाद की ग्रंथि है उसको जलकर एक बेहतर समाज बनाएं।
अंग्रेजों और मुगलों ने ऊंच नीच का भाव पैदा किया
पूर्व उपमुख्यमंत्री से जब अखिलेश यादव को खुद को शूद्र कहने वाले बयान पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि शूद्र बहुत उत्तम व श्रेष्ठ स्थान हैं। भारत की सनातन संस्कृति में इसका कोई वर्णन नहीं था। अंग्रेजों और मुगलों के जो शासन आए उसमें उन्होंने सनातन धर्म विग्रह करने के लिए इस प्रकार के ऊंच नीच का भेदभाव पैदा किया। हमारे यहां तो संत रविदास, महर्षि बाल्मीकि, जैसे तमाम दलित महृषी हुए जिन्हें हमने हमारे समाज ने ऋषियों का स्थान दिया। पिछले समय में जो बसपा की भाषा थी विभाजन करने की उसको बोलकर सपा नेता ये समझते है कि वह लोग वोटों का पोलराइजेशन कर लेंगे, जो कि असंभव हैं। गुजरात व उत्तर प्रदेश में पिछड़ों व अनुसूचित जाति के लोगों ने जो वोट BJP को दिया। उससे इनके अंदर खलबली मची हुई हैं।