Edited By Ruby,Updated: 25 Jan, 2019 06:37 PM
दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुंभ मेले में कुछ साधु-संत अपने स्वरूप एवं विशेषता के कारण लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं वहीं जंगम जोगी भी सिर पर मोर मुकुट बांध भगवान शिव का गुणगान कर लाखों की भीड़ में अपनी अलग अलख जगा रहे...
प्रयागराजः दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम कुंभ मेले में कुछ साधु-संत अपने स्वरूप एवं विशेषता के कारण लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं वहीं जंगम जोगी भी सिर पर मोर मुकुट बांध भगवान शिव का गुणगान कर लाखों की भीड़ में अपनी अलग अलख जगा रहे हैं। सिखों से मिलती-जुलती वेशभूषा, सिर पर दशनामी पगड़ी के साथ काली पट्टी पर तांबे-पीतल से बने गुलदान में मोर के पंखों का गुच्छा, सामने की ओर ‘सर्प निशान’ के अतिरिक्त कॉलर वाले कुर्ते पहने और हाथ में खझड़ी, मजीरा, घंटियां लिए साधुओं का दल अखाड़ों की छावनी में आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह परंपरा जंगम की संस्कृति कला है।
गुलाब जंगम डेरू ने बताया कि कि जंगम ‘कलियुग’ के देवता होते हैं। जंगम जोगियों की टोली सुबह से ही दशनामी अखाड़ों के संतों के शिविरों में समूह बनाकर जाते हैं और भगवान शिव के गीत गाते है। जंगम की सूर्य स्वरूप अखाड़े के साधु -महात्मा दर्शन करते हैं। उन पर कोई ऐक रूपया,कोई लाख तो कोई पान-फूल चढाता है जिसे वह घंटी में ग्रहण करते हैं।
उन्होंने बताया कि जंगम संप्रदाय के देशभर में करीब पांच हजार गृहस्थ संत हैं। वे देशभर के अखाड़ों में घूमते हैं और वहां शिव गुणगान करते हैं। इनकी सबसे ज्यादा संख्या गुजरात ,पंजाब और हरियाणा में हैं। चढायी गयी दक्षिणा को वे अच्छे कार्यो में लगाते हैं। वे इन पैसो से गरीब लडकियों की शादी, मंदिरों का पुनरूद्धार समेत कई अन्य अच्छे कार्यों में खर्च करते है।