Edited By ,Updated: 04 Dec, 2016 05:26 PM
आज के समय में लोग सिर्फ अपना हित देखते हैं, लेकिन शंकरपुर लक्ष्मनपुर निवासी रमेश और विक्रम समाज के लिए मिशाल हैं।
बहराइच: आज के समय में लोग सिर्फ अपना हित देखते हैं, लेकिन शंकरपुर लक्ष्मनपुर निवासी रमेश और विक्रम समाज के लिए मिशाल हैं। दोनों सगे भाई हैं, लेकिन विक्रम दोनों पैरो से नि:शक्त है। बड़े भाई को पीसीएस अधिकारी बनाने के लिए छोटा भाई कभी कंधे पर तो कभी साइकिल पर उसे लेकर स्कूल आता-जाता है। आर्थिक तंगी के चलते खुद छोटे भाई ने परिवार का खर्च चलाने के लिए पढ़ाई छोड़ खेतीबाड़ी संभाली।
जानकारी के अनुसार महसी तहसील अंतर्गत विकास खंड शिवपुर के शंकरपुर लक्ष्मनपुर निवासी विक्रम (19) दोनों पैरों से जन्म से नि:शक्त है। लेकिन पढ़ाई में उसकी लगन शुरू से थी। इस पर पिता बरातीलाल ने गांव के प्राथमिक विद्यालय में नाम लिखवाया। पिता विक्रम को प्रतिदिन पहुंचाते और लाते थे। लेकिन जूनियर कक्षा में पहुंचने पर पिता बरातीलाल की असमय मौत हो गई। कक्षा आठ तक की पढ़ाई विक्रम ने जैसे-तैसे पूरी की। हाईस्कूल की पढ़ाई के लिए उसे 6 किलोमीटर इटहा में स्थित बाबा जय गुरुदेव इंटर कालेज जाना था। लेकिन नि:शक्तता के चलते उसने पढ़ाई छोड़ने का निर्णय लिया। घर पर बातचीत के दौरान विक्रम ने मां राजरानी और छोटे भाई रमेश से पीसीएस अधिकारी बनने की इच्छा जताई, लेकिन नि:शक्तता की बात कहकर उसका गला रुंध गया।
विक्रम की इच्छा देख रमेश ने दूसरे दिन मां से बड़े भाई को पढ़ाने और स्वयं खेती संभालने की बात कही। रमेश के छोटे होने के चलते विक्रम को पहले अटपटा लगा। फिर उसने सप्ताह भर मंथन के बाद भाई के निर्णय को स्वीकार कर लिया। मां राजरानी ने भी सहमति दे दी। जिसके चलते दो साल से रमेश बड़े भाई विक्रम को प्रतिदिन स्कूल लाता और ले जाता है। कभी कंधे पर तो भी साइकिल के सहारे रमेश विक्रम की पढ़ाई करवा रहा है। रमेश का कहना है कि घर में बड़े भाई विक्रम और मां राजरानी के अलावा कोई नहीं है। ऐसे में वह खेतीबाड़ी करके खाने-पीने का जुगाड़ कर लेता है। भाई के अफसर बनने के बाद घर की हालत सुधर जाएगी।
UP Hindi News की अन्य खबरें पढ़ने के लिए Facebook और Twitter पर फॉलो करें