सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अखिलेश ने किया स्वागत, कहा- अब न बुलडोजर चल पाएगा, न उसको चलवानेवाले ...

Edited By Ramkesh,Updated: 17 Sep, 2024 05:51 PM

now neither the bulldozer will be able to run nor the one who makes it run

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुलडोजर नीति पर रोक को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि न्याय के सर्वोच्च आदेश ने...

लखनऊ/ दिल्ली: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बुलडोजर नीति पर रोक को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर योगी सरकार और केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि न्याय के सर्वोच्च आदेश ने बुलडोज़र को ही नहीं बल्कि बुलडोजर का दुरुपयोग करनेवालों की विध्वंसक राजनीति को भी किनारे लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से आज बुलडोज़र के पहिये खुल गये हैं और स्टीयरिंग हत्थे से उखड़ गया है।

 अब बुलडोजर के पार्किंग का समय आ गया है
उन्होंने कहा कि ये उनके लिए पहचान का संकट है जिन्होंने बुलडोज़र को अपना प्रतीक बना लिया था। अब न बुलडोज़र चल पायेगा, न उसको चलवानेवाले। दोनों के लिए ही पार्किंग का समय आ गया है। आज बुलडोज़री सोच का ही ध्वस्तीकरण हो गया है। अब क्या वो बुलडोज़र का भी नाम बदलकर उसका दुरुपयोग करेंगे? दरअसल ये जनता का सवाल नहीं, एक बड़ी आशंका है।

बुलडोजर न्याय का महिमामंडन बंद होना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट
आप को बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को सख्त आदेश  दिया है कि बिना कानूनी प्रक्रिया के बुलडोजर नहीं चलाया जा सकता है। बुलडोजर न्याय का महिमामंडन बंद होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अवैध रूप से ध्वस्तीकरण का एक भी मामला है तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने स्पष्ट किया कि उसका आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों आदि पर बने अनधिकृत ढांचों पर लागू नहीं होगा।

ध्वस्तीकरण का एक भी उदाहरण है...तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है
पीठ ने कहा, “यदि अवैध ध्वस्तीकरण का एक भी उदाहरण है...तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के विरुद्ध है।” शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें आरोप लगाया गया था कि कई राज्यों में आपराधिक मामलों में आरोपियों की संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि संपत्तियों के ध्वस्त करने का “विमर्श” गढ़ा जा रहा है। पीठ ने वरिष्ठ विधि अधिकारी से कहा, “आप निश्चिंत रहें, बाहरी शोर हमें प्रभावित नहीं करता।” पीठ ने मामले की अगली सुनवाई एक अक्टूबर को तय की है। 

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