Edited By Deepika Rajput,Updated: 10 Jul, 2019 01:05 PM
सपा कुनबे के चश्मो चिराग अखिलेश यादव कहां हैं, ये प्रश्न इन दिनों उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोकसभा चुनाव से ही सपा अध्यक्ष कम दिखाई दे रहे हैं। सांसद पद की शपथ लेने के बाद भी अखिलेश यादव अब तक कुल 3 बार ही सदन में...
लखनऊ: सपा कुनबे के चश्मो चिराग अखिलेश यादव कहां गायब हैं, ये प्रश्न इन दिनों उत्तर प्रदेश के सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। लोकसभा चुनाव से ही सपा अध्यक्ष कम दिखाई दे रहे हैं। सांसद पद की शपथ लेने के बाद भी अखिलेश यादव अब तक कुल 3 बार ही सदन में दिखे हैं। ट्विटर पर भी 15 जून के बाद उनका कोई ट्वीट सामने नहीं आया है। वहीं सपा दफ्तर में भी सन्नाटा छाया हुआ है।
बता दें कि, दिल्ली में संसद के बाहर उनकी पार्टी के कुछ नेताओं ने बताया कि वे किसी निजी काम से देश से बाहर गए हुए हैं और बुधवार को आ जाएंगे। दूसरी तरफ, मायावती सपा से गठबंधन तोड़ने के बाद बैठकें कर उपचुनाव की तैयारी कर रही हैं। वहीं इस मामले में अखिलेश की क्या रणनीति क्या होगी इसका पार्टी कार्यकर्ताओं का अब भी इंतजार है। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव से पहले सपा-बसपा और राष्ट्रीय लोकदल (RLD) ने गठबंधन किया था। चुनाव परिणाम में बसपा को जहां 10 सीटों का फायदा हुआ था वहीं सपा को 5 सीटें मिली थीं। हालांकि, सपा को परिवार की 2 सीटों से हाथ धोना पड़ा था। वहीं रालोद का खाता भी नहीं खुल सका था। इसके बाद मायावती ने गठबंधन खत्म करने का ऐलान किया था।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा था कि वैसे भी जगजाहिर है कि सपा के साथ सभी पुराने गिले-शिकवों को भुलाने के साथ-साथ सन 2012-17 में सपा सरकार के बसपा व दलित विरोधी फैसलों, प्रमोशन में आरक्षण विरूद्ध कार्यों एवं बिगड़ी कानून-व्यवस्था आदि को दरकिनार करके देश व जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी तरह से निभाया। परंतु लोकसभा आम चुनाव के बाद सपा का व्यवहार बसपा को यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या ऐसा करके बीजेपी को आगे हरा पाना संभव होगा? जो संभव नहीं है। अतः पार्टी व मूवमेंट के हित में अब बसपा आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी।