केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल बोलीं-भावी पीढ़ी को जनजातियों की संघर्ष गाथा से रूबरू कराने की है जरूरत

Edited By Ramkesh,Updated: 15 Nov, 2021 08:03 PM

need to make the future generation aware of the struggle story of the tribes

महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस'' के तौर पर मनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले की सराहना करते हुये केन्द्रीय राज्य मंत्री एवं अपना दल (एस) अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने सोमवार को कहा कि आने वाली पीढियों को जनजातियों...

लखनऊ: महान क्रांतिकारी बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस' के तौर पर मनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैसले की सराहना करते हुये केन्द्रीय राज्य मंत्री एवं अपना दल (एस) अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने सोमवार को कहा कि आने वाली पीढियों को जनजातियों की संघर्ष गाथा से रूबरू कराने की ज़रूरत है। बिरसा मुंडा की 146 वी जयंती पर भागीदारी भवन में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुये उन्होंने कहा कि देश का आम नागरिक जनजातीय समुदाय से भावनात्मक रुप से जुड़े, ऐसा भाव हर ह्दय में उत्पन्न होना चाहिये। उन्होने कहा ‘‘ मैं प्रधानमंत्री की उस सोच और भाव को प्रणाम करती हूं जिसमें उन्होंने जंगलों में रहने वाली जनजातीय समुदाय के आजादी पाने के लिये अंग्रेजों के साथ किये गये संघर्ष को 15 नवम्बर अर्थात भगवान बिरसा मुंडा के जन्म दिवस को ‘जनजातीय गौरव दिवस' के रूप में मनाने का फैसला कर एक नयी पहचान दी है। इस दिवस के माध्यम से जनजातीय समुदाय को उनकी खोई हुई पहचान मिलेगी, जिसके वो लंबे समय से हकदार थे। ''  

अनुप्रिया ने कहा ‘‘ हमारे जनजातीय समुदाय ने जिस प्रकार भारत की जमीन ,जंगल, सांस्कृति विरासत की रक्षा के लिये अपने प्राणों की आहूति दी है उसके बारे में आने वाली पीढी को अवश्य जानना चाहिये। मिर्जापुर और सोनभद्र जिले में जहां पर बड़ी सख्या में कोल, चेरो, गोंड, पनिका, खरवार आदि जनजातीय समुदाय के लोग निवास करते हैं.वहां जनजातीय संग्रहालय के निर्माण की जो घोषणा सरकार ने की है उसके लिये धन्यवाद। जनजातीय वनवासियों के कल्याण के लिये शिक्षा ,स्वास्थ्य, आवास जैसी तमाम विषयों को ध्यान में रखकर केन्द्र और प्रदेश की सरकार तमाम योजनाओं का संचालन कर रही है।'

उन्होंने कहा कि भगवान बिरसा मुंडा से लेकर रानी दुर्गावती तक और न जाने कितने ऐसे नाम हैं, जिन्होंने देश की आजादी के लिए कुर्बानी दी। इन जनजातीय क्रांतिकारियों ने कैस अंग्रेजो से संघर्ष किया, निरंतर लड़े, जनजातीय समुदाय को एकजुट किया और अंग्रेजों के आगे सिर नहीं झुकाया। आज तमाम राज्यों की सरकारों ने 200 से अधिक जनजातीय समुदाय में जन्म लेने वाले राष्ट नायकों, स्वाधीनता संग्राम सेनानियों की सूची तैयार की है जो गुमनामी के अंधेरे में खो चुके थे। केन्द्रीय राज्य मंत्री ने कहा किमिर्जापुर और सोनभद्र के अलावा कई जिलों में वनवासी समाज के लोग रहते हैं. सरकार उनके समुचित विकास के लिए प्रयास कर रही है। 

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