लखनऊ में होगा ‘काम बोलता है’ नारे का लिटमस टेस्ट

Edited By ,Updated: 19 Feb, 2017 05:59 PM

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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पसंदीदा नारे ‘काम बोलता है’ के लिए प्रदेश विधानसभा का चुनाव खासकर राजधानी लखनऊ में लिटमस टेस्ट...

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के पसंदीदा नारे ‘काम बोलता है’ के लिए प्रदेश विधानसभा का चुनाव खासकर राजधानी लखनऊ में लिटमस टेस्ट साबित होगा। जाति के आधार पर राजनीति करने वाले दल के ठप्पे वाली सपा को इससे निजात दिलाने के लिए अखिलेश ने प्रदेश विधानसभा चुनाव का रण जीतने के लिए विकास कार्यों को ही अपने प्रचार का आधार बनाया है। इसके लिए वह अपनी सभाआें में लखनऊ मेट्रो, जनेश्वर मिश्र पार्क, समाजवादी पेंशन, एंबुलेंस सेवा, लखनऊ-आगरा एक्सपे्रसवे समेत तमाम विकास योजनाआें का जिक्र कर रहे हैं।

लखनऊ में नौ विधानसभा सीटें हैं। वर्ष 2012 में सपा ने इनमें से सात सीटें जीती थीं, जबकि एक सीट उसकी मौजूदा सहयोगी पार्टी कांग्रेस के पास गई थी। लखनऊ में आज मतदान हुआ। अब देखना यह है कि 11 मार्च को चुनाव परिणाम के रूप में जनता ‘काम बोलता है’ के नारे को सराहती है, या नकारती है। मुख्यमंत्री के ‘काम बोलता है’ के नारे की लगातार आलोचना कर रही भाजपा और बसपा यह दावा कर रही हैं कि अखिलेश जिन कार्यों के बलबूते विकास की तस्वीर पेश कर रहे हैं, वे दरअसल जल्दबाजी में आधे-अधूरे तरीके से किए गए हैं। बसपा अध्यक्ष मायावती का दावा है कि लखनऊ मेट्रो की परियोजना उनकी थी, जिसे सपा सरकार ने लपक लिया और अब वह उसे अपनी सोची गई परियोजना के तौर पर पेश कर रही है।

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