Lucknow News: सपा का गाजियाबाद में अयोध्या वाला दांव, कितना होगा कारगर.... क्या फिर से अखिलेश करेंगे कमाल?

Edited By Anil Kapoor,Updated: 26 Oct, 2024 03:19 PM

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Lucknow News:उत्तर प्रदेश विधानसभा की 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की राजनीतिक बिसात बिछ चुकी है। सपा और बसपा सभी 9 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी है, तो बीजेपी 8 सीट पर खुद चुनाव लड़ रही है और एक सीट पर उसकी सहयोगी RLD किस्मत आजमा रही है। सपा ने...

Lucknow News: (अश्वनी सिंह) उत्तर प्रदेश विधानसभा की 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की राजनीतिक बिसात बिछ चुकी है। सपा और बसपा सभी 9 सीटों पर चुनावी मैदान में उतरी है, तो बीजेपी 8 सीट पर खुद चुनाव लड़ रही है और एक सीट पर उसकी सहयोगी RLD किस्मत आजमा रही है। सपा ने उपचुनाव में कांग्रेस के लिए दो सीटें खैर और गाजियाबाद दे रही थी लेकिन, कांग्रेस राजी नहीं हुई तो अखिलेश यादव ने उन दोनों सीटों पर भी अपने कैंडिडेट उतार दिए हैं, जिसके जरिए नया सियासी एक्सपेरिमेंट किया है।

सपा का गाजियाबाद में अयोध्या वाला दांव
गाजियाबाद और अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर बीजेपी का एकछत्र राज कायम है। बीजेपी की दोनों सीटों पर सियासी पकड़ को देखते हुए कांग्रेस ने उपचुनाव लड़ने से अपने कदम पीछे खींच लिए थे। इसके बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गुरुवार शाम दोनों ही सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है, जिसमें खैर सीट पर चारू कैन और गाजियाबाद सीट पर सिंह राज जाटव को टिकट दिया है।

सामान्य सीट पर सपा ने उतार दिए दलित उम्मीदवार
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने गाजियाबाद विधानसभा सीट पर अयोध्या और मेरठ लोकसभा सीट वाला सियासी दांव चला है। 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश ने मेरठ और फैजाहबाद जैसी सामान्य सीट पर दलित प्रत्याशी उतारने का प्रयोग किया थे, जो हिट रहा था। सपा ने फैजाबाद लोकसभा सीट पर अवधेश प्रसाद के रूप में दलित उम्मीदवार उतारा था, तो वहीं मेरठ सीट पर सुनीता वर्मा को प्रत्याशी बनाया था। सपा ने इन दोनों ही सीटों पर बीजेपी को कांटे की टक्कर देने में सफल रही थी। अयोध्या में सपा के अवधेश प्रसाद ने शानदार जीत दर्ज की थी तो मेरठ में सुनीता वर्मा बहुत मामूली वोटों से हार गई थी।

गाजियाबाद विधानसभा की सदर सीट पर सपा ने सिंह राज जाटव को दिया टिकट
सपा ने फैजाबाद वाले सियासी प्रयोग को दोहराते हुए गाजियाबाद विधानसभा की सदर सीट पर सिंह राज जाटव को टिकट दिया है, जो दलित समुदाय से आते हैं। बीजेपी ने ब्राह्मण कार्ड चलते संजीव शर्मा को उतारा है, तो बसपा ने वैश्य समुदाय से आने वाले परमानंद गर्ग पर दांव लगाया है। ऐसे में सपा ने जनरल सीट पर दलित प्रत्याशी उतारकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं। सपा अपनी इस रणनीति के जरिए यादव और मुस्लिम के साथ दलित वोटों को साधने की है।  इसके अलावा जिस तरह से उन्होंने जाटव प्रत्याशी दिया है, उसका सीधा संकेत मायावती के कोर वोटबैंक में सेंधमारी का है। गाजियाबाद सीट पर दलित वोटर बड़ी संख्या में है, जिसे अगर सिंह राज जाटव के जरिए अपने साथ जोड़ने में कामयाब रहते हैं तो बीजेपी और बसपा दोनों का खेल बिगड़ सकता है।

खैर सीट पर एक तीर से कई शिकार
अलीगढ़ की खैर विधानसभा सीट पर अखिलेश यादव ने चारू केन को प्रत्याशी बनाया है, जो दलित समुदाय से आती हैं। खैर सीट दलित समाज के लिए रिजर्व है। सपा ने इस सीट को भी कांग्रेस को दे रही थी, लेकिन राजी नहीं हुई तो कांग्रेस की नेता चारू केन को सपा के सिंबल पर उतार दिया। इस तरह से कांग्रेस के साथ सियासी बैलेंस बनाने की कोशिश की है, तो दूसरी तरफ बीजेपी-आरएलडी गठबंधन के गणित को भी फेल करने की स्टैटेजी है। चारू केन दलित समाज से हैं, लेकिन उनकी शादी जाट परिवार में हुई है। अलीगढ़ के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष चौधरी तेजवीर सिंह उर्फ गुड्डू की बहू हैं।

कांग्रेस वाली सीटों पर सपा का एक्सपेरिमेंट
सपा ने खैर सीट पर चारू कैन को उम्मीदवार बनाकर दलित-जाट समीकरण बनाने की रणनीति है। इसके अलावा मुस्लिमों को सपा अपना वोट बैंक मान कर चल रही है। एक लाख के करीबी जाट वोटर हैं, तो 57 हजार के करीब दलित मतदाता हैं। 25 हजार मुस्लिम हैं, इन्हीं दोनों वोटों के नजरिए से सपा ने दांव चला है। हालांकि, कांग्रेस कोटे में जाने की चर्चाओं के बीच चारू ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था, लेकिन कांग्रेस चुनाव लड़ने से पीछे हटते सपा में शामिल हो गईं। देखना है कि खैर सीट पर सपा का सियासी प्रयोग कितना सफल रहता है?... और क्या सपा का फैजाबाद वाला दांव कितना कामयाब रहता है।

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