कुशीनगर: भगवान बुद्ध की नगरी को रेललाइन से जोड़ने की बढ़ी उम्मीद, मोदी सरकार के ऐलान से लोगों में खुशी

Edited By Prashant Tiwari,Updated: 20 Feb, 2023 05:20 PM

kushinagar there is an increased hope of connecting

कुशीनगर (अनूप कुमार) : तथागत भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली जिले में होने से यह अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में भी विश्वविख्यात है। जिससे  लाखो की संख्या में देशी विदेशी पर्यटक प्रतिवर्ष यहां दर्शन करने के लिए आते है। कुशीनगर में भले ही...

कुशीनगर (अनूप कुमार) : तथागत भगवान बुद्ध की महापरिनिर्वाण स्थली जिले में होने से यह अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में भी विश्वविख्यात है। जिससे  लाखो की संख्या में देशी विदेशी पर्यटक प्रतिवर्ष यहां दर्शन करने के लिए आते है। कुशीनगर में भले ही अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बना है पर वह भी नियमित उड़ानों से अछूता है। यही कारण है कि यहां पर्यटकों को पहुंचने का एक मात्र जरिया सड़क मार्ग है। जिससे पर्यटकों के आर्थिक नुकसान के साथ साथ समय की भी बर्बादी होती है। यातायात के बेहतर साधन ना उपलब्ध होने के कारण बहुत सारे पर्यटक वाराणसी, बोधगया, और लुम्बनी से वापस चले जाते है। जिसका नुकसान कुशीनगर के पर्यटन से जुड़े लोगों को उठाना पड़ता है। जिसके वजह से यहां के लोग काफी लंबे समय से अपने क्षेत्र में रेलवेलाइन की मांग करते रहे है। अब केंद्र सरकार के बजट में क्षेत्र के लिए रेलवे लाइन की घोषणा होने के बाद लोगों के उम्मीद को पंख लग गये है।

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मोदी सरकार ने बजट में किया ऐलान
मोदी सरकार ने जब 1 फरवरी को अपने कार्यकाल का अंतिम बजट पेश किया। जिसमें केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में प्रस्तुत बजट में जिले को बड़ा तोहफा दिया गया। जिसमें उन्होंने जिले को रेल लाइन से जोड़ने की घोषणा किया। जिसके बाद क्षेत्रवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई। 64 किलोमीटर लंबी इस रेललाइन के लिये वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने गोरखपुर से कुशीनगर होते हुए पडरौना तक नई रेल लाइन बिछाने के लिए सर्वे कराते हुए 1359 करोड़ के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। जिसमें मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के अंतिम बजट में 10 करोड़ रुपए का आवंटन का बजट पेश किया। जिससे अब इसका डी.पी.आर. तैयार कर कार्य शुरू किया जा सके। भगवान बुद्ध की निर्वाण स्थली को पहले हाइवे फिर अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट से जोड़ने के बाद अब रेलवे से जोड़ने के लिये काफी वर्षों से कवायद की जा रही थी।

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100 साल पहले चलती थी ट्रेन
आपको बता दे कि गोरखपुर के चौरा चौरी के सरदार नगर में सरैया चीनी मिल की स्थापना 1900 में पंजाब से आकर सरदार उमराव सिंह मजीठिया ने किया था। कुशीनगर जिले के विभिन्न क्षेत्रों से होते हुए देवरिया जिले के हेतिमपुर तक इस छोटी रेलवे लाइन कब बिछाया गया था। जिससे इन क्षेत्रों से गन्ना लाने के लिए 33 किलोमीटर के इस ट्रैक पर तीन स्टेशन बनाए गए थे। सरैया चीनी मिल प्रबंधन के पास तीन भाप से चलने वाले ट्रेनों के इंजन थे। इनके जरिए आसपास के गन्नों की ढुलाई की जाती थी। वर्ष 1998 में इस चीनी मिल को बन्द कर दिया गया। जिसके वजह से अब यह छोटी रेलवे लाइन जहां अब कबाड़ हो रही है। केंद्र सरकार ने भी इस रेललाइन के जरिये ही गोरखपुर रेलवे लाइन को कुशीनगर से जोड़ने को लेकर बजट दिया है। छोटी रेलवे लाइन हेतिमपुर तक होने के चलते इसे आगे बढ़ाने के लिए छोटी गंडक नदी पार करवा कर कुशीनगर जिले में प्रवेश करवाने को लेकर महज 6 किमी बढ़ाने के लिए जमीन का अधिग्रहण करना होगा। जिसका सर्वे का काम 3-4 साल पहले ही पूरा किया जा चुका है।

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