कुशीनगर बस हादसा: अभी भी गम और सदमे से उबर नहीं पा रहे हैं ये 5 गांव

Edited By Anil Kapoor,Updated: 30 Apr, 2018 12:40 PM

kushi nagar accident still can not recover from shock these 5 villages

उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में रेल दुर्घटना में 13 स्कूली बच्चों की मौत के 5 दिन बीतने के बाद भी 5 गांवों की फिजा गम और सदमे से उबर नहीं पा रही है। पीड़ित परिवारों के दर्द से गांव का जर्रा-जर्रा रोता दिखाई दे रहा है। यह दर्द तब और बढ़ गया जब अपने 3...

कुशीनगर: उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में रेल दुर्घटना में 13 स्कूली बच्चों की मौत के 5 दिन बीतने के बाद भी 5 गांवों की फिजा गम और सदमे से उबर नहीं पा रही है। पीड़ित परिवारों के दर्द से गांव का जर्रा-जर्रा रोता दिखाई दे रहा है। यह दर्द तब और बढ़ गया जब अपने 3 बच्चों को खोने वाली मां भी गंभीर रूप से बीमार हो गईं और उनको अस्पताल में भर्ती कराया गया।
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गम में डूबे गांव के लिए यह एक और बड़ा सदमा है जिसके बाद दर्द का बोझ और बढता दिखा। अपने 3 बेटों को खोने वाले पिता की सदमे से अचानक आवाज ही बंद हो गई। इकलौते पुत्र हरिओम को खोने वाली ग्राम बतरौली धुडखणवा निवासी नीतम सिंह की हालत आज पहले से भी खराब हो गई। आनन-फानन परिजन जिला अस्पताल ले गए। अभी इनका इलाज चल ही रहा था कि अपने बेटे मेराज व बेटी मुस्काने को खोने वाली ग्राम महियरवा निवासी सलमा की हालत भी नाजुक हो गई। परिजन सीएचसी दुदही लाकर भर्ती कराया जहां इलाज चल रहा है।
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इसी टोले के अनस की मां खुशबू व अरशद की मां सबरून की हालत भी नाजुक होने पर परिजनों ने सीएचसी लाकर भर्ती कराया। जहां इलाज चल रहा है। दूसरी ओर अपने 2 बेटों व एक बेटी को खोने वाले मिश्रौली के प्रधान प्रतिनिधि अमरजीत की आवाज ही गायब हो गई है। उनकी पत्नी किरन सदमे में हैं और जिला अस्पताल में इलाज चल रहा है। मृत बच्चों के पीड़ित माता-पिता की देखभाल के लिए पूरा गांव एक हो गया है। लोग अस्पताल की ओर दौड़े। हर ओर इसी की चर्चा हो रही थी कि अब कितना कहर बरपाएगा ऊपर वाला।
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डिवाइन पब्लिक स्कूल दुदही की वैन के इंतजार में साहिल व गुलजार भी खड़े थे। दोनों सगे भाई हैं। उस दिन सुबह के करीब 6 बज रहे होंगे जब दोनों एक साथ तैयार होकर घर से स्कूल के लिए निकले थे। चंद दूरी का फासला तय कर वह गांव के बाहर उसी स्थान पर पहुंचे जहां वैन के आने का इंतजार रहता था। बातचीत में मशगूल साहिल ने वैन को आते देख यह सूचना छोटे भाई गुलजार को दी। वैन की ओर निहारते दोनों खुश हो गए। कुछ क्षण ही गुजरे थे कि अचानक एक तेज आवाज हुई और दोनों भाईयों ने देखा कि उन्हें स्कूल ले जाने व ले आने वाली वैन ट्रेन से भिडऩे के बाद दूर तक घसीटती चली जा रही है। घबराए शाहिल व गुलजार चिल्लाते हुए वापस घर की अोर भागने लगे।

बच्चों को इस हाल में भागते देख लोग भी घबरा उठे और सभी तेजी से उस स्थान, बहपुरवा स्थित मानव रहित रेलवे क्रासिग, की ओर दौड़ पड़े जिधर से तेज आवाज सुनाई दी थी। इधर बदहवासी की हालत में घर पहुंच साहिल व गुलजार ने आंखों देखी घटना की सूचना जैसे-तैसे परिजनों को दी। बच्चों की हालत देख मां-बाप उन्हें संभालने में जुट गए। घर के लोग शोर मचाते हुए घटनास्थल की और दौड़ पड़े थे।

पडरौन मडूरही निवासी अनवर बताते हैं कि उनके दोनों बेटे 10 वर्षीय साहिल व 9 साल का गुलजार घटना के 3 दिन बाद भी उस सदमे से उबर नहीं सके हैं। परिवार डॉक्टरों के संपर्क में है। सुबह-शाम स्वास्थ्य विभाग की टीम घर पहुंच दोनों के स्वास्थ्य की जांच कर रही है। दोनों डिवाइन पब्लिक स्कूल में पढ़ते हैं। साहिल कक्षा 5 तो गुलजार कक्षा 4 का छात्र है।

गौरतलब है कि गुरुवार को दुदही के बहपुरवा स्थित मानव रहित रेलवे क्रासिंग पर यह दर्दनाक घटना हुई थी जिसमें 13 बच्चों की मौत हो गई। फिलहाल परिजनों ने साहिल व गुलजार को इस बात की जानकारी नहीं दी है कि उनके साथ पढ़ने व आने-जाने वाले 13 साथी अब इस दुनिया में नहीं हैं और वह उनसे कभी नहीं मिल सकेंगे। प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री ब्रह्मा शंकर त्रिपाठी व एमएलसी रामअवध यादव रविवार को घटनास्थल का दौरा करने के बाद सभी मृत बच्चों के परिजनों से मिल कर उन्हें ढाढस बंधाया और प्रत्येक परिवार को 10-10 हजार की आर्थिक मदद की।

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