Edited By Pooja Gill,Updated: 27 Aug, 2024 08:32 AM
Janmashtami 2024: जन्माष्टमी के अवसर पर लाखों-करोड़ों हिन्दुओं के आराध्य भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा के विभिन्न मंदिरों में सोमवार को जनसैलाब उमड़ पड़ा। शहर के उत्तरी भाग में स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान की ओर जाने वाले हर मार्ग पर लोगों के सिर्फ...
xJanmashtami 2024: जन्माष्टमी के अवसर पर लाखों-करोड़ों हिन्दुओं के आराध्य भगवान श्रीकृष्ण की जन्मस्थली मथुरा के विभिन्न मंदिरों में सोमवार को जनसैलाब उमड़ पड़ा। शहर के उत्तरी भाग में स्थित श्रीकृष्ण जन्मस्थान की ओर जाने वाले हर मार्ग पर लोगों के सिर्फ सिर-सिर ही नजर आए। एक के पीछे एक श्रीकृष्ण के दीवानों का टोला मंदिर परिसर की ओर बढ़ता नजर आ रहा था। इस मौके पर शहर के प्रमुख मंदिरों में झांकी सजाई गई। इन झांकियों का आकर्षण देखते ही बनता था। राधा और कृष्ण की झांकियों ने सबका मन मोह लिया।
कान्हा का 5251वां जन्म महोत्सव रहा भव्य
जिला प्रशासन ने भी ब्रज तीर्थ विकास परिषद एवं राज्य के पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में कान्हा के 5251वें जन्म महोत्सव को अद्वितीय व भव्य बनाने के हर सम्भव प्रयास किये गये। इस अवसर पर मथुरा आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बहुत बड़े पैमाने पर इंताजामात किए गए हैं। मथुरा-वृन्दावन के घर-घर में लोगों ने उपवास रखकर लाला (श्रीकृष्ण) के जन्म की तैयारियां कीं। इन सबके बीच पुलिस प्रशासन ने सभी तीर्थयात्रियों एवं स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए। श्रीकृष्ण जन्मस्थान व उसके आसपास के क्षेत्रों सहित मथुरा की सड़कों व गलियों तक में चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई। इसके अलावा सादी वर्दी में तैनात खुफिया पुलिस के दस्ते जगह-जगह तलाशी अभियान चलाकर औचक निरीक्षण कर रहे थे।
कन्हैया के भक्तों में दिखा गजब का उत्साह
कन्हैया के भक्तों का उत्साह ऐसा था कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में प्रवेश करने के लिए देर रात से ही लोगों ने उत्तरी द्वार पर लग रही कतारों में अपनी जगह सुनिश्चित करना शुरू कर दिया था। उनकी यह ललक देर शाम तक बनी रही। यहां तक कि जब कई बार रुक-रुक बारिश हुई, तब भी जन्मस्थान की ओर जा रही सड़कों पर भीड़ में कहीं कमी नहीं हुई। श्रद्धालु लगातार मंदिर की ओर बढ़ते ही रहे। इसीलिए श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के प्रबंधकों ने अन्य दिनों में 12 घण्टे के स्थान पर आज सुबह साढ़े पांच बजे से रात डेढ़ बजे तक मंदिर में प्रवेश की छूट दे दी थी। जिसका लाखों लोगों ने लाभ भी उठाया। शहर की 20 प्रमुख सड़कों व चौराहों पर दो दर्जन से अधिक स्थानों पर मंच बनाकर स्थानीय सहित विभिन्न राज्यों से आए लोक कलाकारों ने अपनी कला का प्रदर्शन किया।
केशवदेव मंदिर बना श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र
श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर में स्थित ठाकुर केशवदेव मंदिर, गर्भगृह मंदिर तथा भागवत भवन आदि को इस प्रकार से सजाया गया था कि जैसे द्वापरकालीन शौरसेन जनपद की राजधानी मधुपुरी (तब मथुरा को इसी नाम से जाना जाता था) एक बार फिर साकार हो उठी हो। पुरातात्विक साक्ष्यों एवं पौराणिक कथानकों के अनुसार माना जाता है कि द्वापर युग में केशोपुरा के इसी टीले पर (जहां वर्तमान में श्रीकृश्ण जन्मस्थान अवस्थित है) ही तत्कालीन मथुरा नरेश कंस का कारागार रहा होगा और उसने अपनी ममेरी बहिन देवकी व उसके पति वसुदेव को उसी कारागार में बंधक बनाकर रखा होगा। इसी कारागार में देवकी के आठवें पुत्र वासुदेव (कृष्ण) का जन्म हुआ, जिसे वसुदेव जन्म के तुरंत बाद रात में ही गोकुल स्थित नंदबाबा के यहां यशोदा को सौंप आए थे और उनकी पुत्री महामाया को अपने साथ ले आए थे।