कौशांबी के मशहूर दशहरा मेला में कुप्पी युद्ध देखने को बेताब दर्शक, जानिए क्या है खासीयत?

Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 14 Oct, 2021 04:08 PM

in kaushambi s famous dussehra fair spectators

उत्तर प्रदेश के कौशांबी (Kaushambi) में करीब ढाई सदी पुराना दशहरा (Dussehra) मेला में शुक्रवार को दो दिवसीय कुप्पी युद्ध (Kuppi Yudh) देखने के लिए दर्शकों में बेकरारी चरम पर है।  दारा शिकोह द्वारा बसाया गया दारानगर कस्बा का 250 वर्ष पुराना दशहरा...

कौशांबी: उत्तर प्रदेश के कौशांबी (Kaushambi) में करीब ढाई सदी पुराना दशहरा (Dussehra) मेला में शुक्रवार को दो दिवसीय कुप्पी युद्ध (Kuppi Yudh) देखने के लिए दर्शकों में बेकरारी चरम पर है।  दारा शिकोह द्वारा बसाया गया दारानगर कस्बा का 250 वर्ष पुराना दशहरा मेला कुप्पी युद्ध के कारण देश भर में जाना जाता है। विजयदशमी के अवसर पर दूरस्थ भागों से लोग राम रावण सेनाओं के बीच होने वाले कुप्पी युद्ध देखने के लिए दर्शकों का यहां सैलाब उमड़ता है। दारानगर राम लीला अपने मौलिक संस्कृति एवं मंचन को लेकर काफी आकर्षक रहा है। दारानगर के पड़ोसी गांवों में रामलीला कामंचन, भाद्रपद माहकी पूर्णिमा से भगवान राम के मुकुट पूजन के बाद शुरू होता है। रामलीला कमेटी के देखरेख में आस-पास के गांव में रामलीला का सजीव मंचन होता है।

विजयदशमी एवं एकादशी को दो दिन म्योहरा गांव के दक्षिणी भाग मे दशहरा मेला का आयोजन किया जाता है। मेला के मध्य भाग में गेरुवा गणवेशधारी राम की सेना जिनके कंधों में लकड़ी का गदा सिर पर गेरुआ पगड़ी होती हैं। रावण की सेना के सेनानी काला वस्त्रधारी व काला डंडा जिसका प्रयोग ढाल के रूप में किया जाता है लेकर युद्ध भूमि में जाते है। विजयदशमी पर राम रावण सेनाओं के बीच चार कुप्पी युद्ध लड़े जाते है। प्लास्टिक निर्मित घड़े की आकृति वाली कुप्पी को दोनों दलों के योद्धा शस्त के रूप में प्रयोग करते है। आयोजकों के सीटी बजने पर राम रावण दल के सेनानी एक दूसरे पर टूट पड़ते हैं और कुप्पी से एक दूसरे पर प्रहार कर घमासान युद्ध करते हैं। 

इस लड़ाई में गदा एवं डंडा का प्रयोग पूर्णतया वर्जित है। युद्ध में घायल सेनानी युद्ध क्षेत्र की मिट्टी औषधि के रूप में में लगाकर स्वस्थ होते हैं। कभी भी किसी तरह के इलाज की आवश्यकता नहीं पड़ती है। दशहरा के दूसरे दिन एकादशी को दोनों सेनाओं के बीच तीन युद्ध होते हैं इस धर्म युद्ध आसुरी शक्तियां हावी रहती हैं लेकिन विजय राम दल के सेनानियों की होती है। सदियों से होने वाले रोमांचक युद्ध देखने के लिए मेला मैदान में समीपवर्ती जिले प्रयागराज ,फतेहपुर, प्रतापगढ़ ,चित्रकूट, बांदा ,कानपुर, रायबरेली सहित अनेक जिलों से भारी संख्या में दर्शकों की भीड़ इकट्ठा होती है। रामलीला कमेटी के स्वयंसेवक पुलिस, पीएसी, होमगाडर् के जवान तथा प्रशासनिक अधिकारी मेला की देखरेख करते हैं। इस बार ऐतिहासिक कुप्पी युद्ध 15 अक्टूबर एवं 16 अक्टूबर को संपन्न होगा रामलीला का समापन भरत मिलाप एवं श्री राम की राजगद्दी के साथ समाप्त होता है। 

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