बिना तलाक लिए दूसरी शादी मामले में हाईकोर्ट की अहम टिप्पणी, कहा- सात फेरों के बिना हिंदू विवाह वैध नहीं

Edited By Ajay kumar,Updated: 05 Oct, 2023 04:54 PM

hindu marriage is not valid without seven rounds highcourt

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में कहा है कि सात फेरों और अन्य रीतियों के बिना हिंदू विवाह वैध नहीं है। उच्च न्यायालय ने एक शिकायती मामले की संपूर्ण कार्यवाही रद्द कर दी जिसमें पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी ने तलाक लिए बगैर दूसरी शादी कर...

प्रयागराजः इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक मामले में कहा है कि सात फेरों और अन्य रीतियों के बिना हिंदू विवाह वैध नहीं है। उच्च न्यायालय ने एक शिकायती मामले की संपूर्ण कार्यवाही रद्द कर दी जिसमें पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी ने तलाक लिए बगैर दूसरी शादी कर ली, इसलिए उसे दंड दिया जाना चाहिए।

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स्मृति सिंह नाम की महिला की याचिका स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने कहा कि यह स्थापित नियम है कि जब तक उचित ढंग से विवाह संपन्न नहीं किया जाता, वह विवाह संपन्न नहीं माना जाता। कोर्ट ने कहा कि यदि विवाह वैध नहीं है तो कानून की नजर में वह विवाह नहीं है। हिंदू कानून के तहत सप्तपदी, एक वैध विवाह का आवश्यक घटक है। कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा सात को आधार बनाया है जिसके मुताबिक, एक हिंदू विवाह पूरे रीति रिवाज से होना चाहिए जिसमें सप्तपदी उस विवाह को पूर्ण बनाती है।

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उच्च न्यायालय ने मिर्जापुर की अदालत के 21 अप्रैल, 2022 के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसके तहत स्मृति सिंह को समन जारी किया गया था। कोर्ट ने कहा, “शिकायत में सप्तपदी के संबंध में कोई उल्लेख नहीं है। इसलिए इस अदालत के विचार से आवेदक के खिलाफ कोई अपराध का मामला नहीं बनता क्योंकि दूसरे विवाह का आरोप निराधार है। याचिकाकर्ता स्मृति सिंह का विवाह 2017 में सत्यम सिंह नाम के एक व्यक्ति से हुआ था। लेकिन कटु संबंधों के चलते स्मृति अपना ससुराल छोड़कर चली गई और दहेज के लिए उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

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