Edited By Ajay kumar,Updated: 28 Oct, 2023 10:12 AM
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालिग प्रेमिका को नाबालिग के साथ लिव इन रिलेशनशिप की इजाजत देने से इन्कार करते हुए कहा कि जो लड़का खुद अपने पिता पर निर्भर है, वह प्रेमिका की देखभाल नहीं कर सकता।
प्रयागराजः: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालिग प्रेमिका को नाबालिग के साथ लिव इन रिलेशनशिप की इजाजत देने से इन्कार करते हुए कहा कि जो लड़का खुद अपने पिता पर निर्भर है, वह प्रेमिका की देखभाल नहीं कर सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति मो. अजहर हुसैन इदरीसी की खंडपीठ ने गाजीपुर निवासी बालिग प्रेमिका आंचल राजभर और आजमगढ़ निवासी उसके नाबालिग साथी जय हिन्द राजभर की ओर से अपहरण की प्राथमिकी को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए दिया।
प्रेमिका के पिता ने बेटी के नाबालिग प्रेमी के खिलाफ दर्ज कराई थी FIR
याचिका में संलग्न तथ्यों के अनुसार मामला गाजीपुर के बहरियाबाद क्षेत्र का है। याची (प्रेमिका) के पिता हरिराम राजभर ने बेटी के नाबालिग प्रेमी के खिलाफ आईपीसी की धारा 366 (अपहरण) की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। याची (प्रेमिका) और उसके साथी ने संयुक्त रूप से याचिका दाखिल कर प्राथमिकी रद्द करने की मांग की थी।
टाइम पास है लिव इन रिलेशनशिप: हाईकोर्ट
सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप के संबंध में अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि यह एक टाइम पास होते हैं। ऐसे संबंध में ईमानदारी और स्थिरता की कमी रहती है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कई मामलों में इस तरह के संबंध को वैध ठहराया है, लेकिन 20 व 22 साल की उम्र में सिर्फ दो माह की अवधि में हम यह उम्मीद नहीं कर सकते कि यह जोड़ा एक साथ रहने में सक्षम होगा। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन रिजवी की खंडपीठ ने लिव इन पार्टनरशिप में रह रही एक अंतर धार्मिक जोड़े की पुलिस सुरक्षा की अर्जी की सुनवाई करते हुए किया है।