Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 17 Mar, 2024 12:42 PM
केंद्र की सत्ता पर काबिज होने का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है इसलिए देश के सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में सभी राजनीतिक दल जीत हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैया...
लखनऊ: केंद्र की सत्ता पर काबिज होने का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है इसलिए देश के सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले इस राज्य में सभी राजनीतिक दल जीत हासिल करने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में जुट गये हैं। उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के सभी सात चरणों के तहत मतदान होगा। एक तरफ जहां सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करिश्मे और विभिन्न विकास परियोजनाओं के सहारे सभी सीटों पर जीत का दावा कर रही है। वहीं विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' को भी राज्य में सम्मानजनक लड़ाई लड़ने की उम्मीद है। बसपा सुप्रीमो मायावती भी चुनावी मैदान में हैं। ऐसे में यूपी में मुकाबला त्रिकोणीय है।
वहीं, यूपी की हाई प्रोफाइल सीटों में सीट आजमगढ़ के लिए सपा ने अपने प्रत्याशी का ऐलान कर दिया है। पार्टी ने आजमगढ़ से फिर एक बार धर्मेंद्र यादव पर दांव लगाया है, जो यहां से बीता उपचुनाव हार गए थे। आजमगढ़ लोकसभा सीट सपा का गढ़ हुआ करती थी। 2019 में अखिलेश यहां से संसद चुने गए थे। मगर 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में करहल से विधायक बनने के बाद अखिलेश ने संसद की सदस्य्ता से इस्तीफा दिया था। इसके बाद हुए उपचुनाव में भाजपा ने सपा के गढ़ में सेंध लगाई और भोजपुरी सुपरस्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ यहां से सांसद बने। निरहुआ ने अखिलेश के चचेर भाई धर्मेंद्र यादव को चुनाव हराया।
आजमगढ़ उपचुनाव में तब यह कहा गया कि सपा की हार की वजह बसपा प्रत्याशी गुड्डू जमाली बने थे। दरअसल, गुड्डू जमाली के लड़ने से मुस्लिम वोटों का बंटवारा हुआ था, जिसका फायदा निरहुआ को मिला था। तब सियासी जानकारों ने यही कहा था कि मुस्लिम वोटों के बंटवारे की वजह से धर्मेंद्र उपचुनाव हार गए थे। अब अखिलेश ने बसपा नेता गुड्डू जमाली को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है और साथ ही उन्हें एमएलसी पद भी दिया है। ऐसा करने से सपा का M-Y (मुस्लिम-यादव) समीकरण यहां फिर से मजबूत हो सकता है। ऐसे में अखिलेश यादव ने आजमगढ़ का अपना किला वापस पाने के लिए बड़ा दांव चला है।