Mahakumbh 2025: श्रद्धालुओं को 'महाकुंभ मेला एप' पर मिलेगी घाटों की लोकेशन, एक क्लिक में होगा मार्गदर्शन, साइनबोर्ड और डिजिटल तकनीक से सुविधाजनक अनुभव

Edited By Mamta Yadav,Updated: 31 Oct, 2024 09:51 PM

devotees will get the location of the ghats on the  mahakumbh mela app

दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक, महाकुंभ 2025, की तैयारियां युद्धस्तर पर जारी हैं। प्रयागराज में आयोजित होने वाले इस महायोजन में 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के भाग लेने की संभावना है। ऐसे में मेला प्राधिकरण ने श्रद्धालुओं को बेहतर...

Prayagraj News, (सैय्यद आकिब रजा): दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक, महाकुंभ 2025, की तैयारियां युद्धस्तर पर जारी हैं। प्रयागराज में आयोजित होने वाले इस महायोजन में 40 से 45 करोड़ श्रद्धालुओं के भाग लेने की संभावना है। ऐसे में मेला प्राधिकरण ने श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधा और मार्गदर्शन देने के उद्देश्य से 'महाकुंभ मेला 2025' एप को लॉन्च किया है। इस एप पर घाटों और मंदिरों की लोकेशन के साथ-साथ प्रयागराज के प्रमुख धार्मिक स्थलों का विवरण भी उपलब्ध कराया गया है, जिससे श्रद्धालुओं को नियत स्थान पर पहुंचने के लिए भटकना नहीं पड़ेगा।

एप में शामिल लोकेशन फीचर
श्रद्धालु अब अपने मोबाइल पर 'महाकुंभ मेला 2025' एप का उपयोग कर घाटों और धार्मिक स्थलों की सही लोकेशन प्राप्त कर सकते हैं। एप को डाउनलोड और ओपन करने पर इसके होमपेज पर 'प्लान योर पिलग्रिमेज' सेक्शन में श्रद्धालु 'गेट डायरेक्शन टू घाट' विकल्प का चयन कर सकते हैं। इस फीचर से श्रद्धालुओं को प्रयागराज के सात प्रमुख घाटों जैसे दशाश्वमेध घाट, किला घाट, रसूलाबाद घाट, नौकायन घाट, महेवा घाट, सरस्वती घाट और ज्ञान गंगा घाट का मार्गदर्शन प्राप्त होगा।

मेला प्राधिकरण की सुविधाजनक पहल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में प्रयागराज का दौरा करते हुए मेला प्रशासन की वेबसाइट और एप का उद्घाटन किया था। इसके साथ ही सभी प्रमुख घाटों और मार्गों पर साइनबोर्ड्स और डिजिटल मार्गदर्शन का भी इंतजाम किया गया है। गूगल मैप के माध्यम से लोकेशन लिंक जोड़ने के साथ-साथ साइनबोर्ड्स की मदद से श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के अपने गंतव्य तक पहुंच सकेंगे।

सौंदर्यीकरण और आध्यात्मिक विरासत का संरक्षण
योगी सरकार प्रयागराज के घाटों और धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण का कार्य भी कर रही है। दशाश्वमेध और किला घाट जैसे प्रमुख स्थलों पर व्यवस्थाओं को सुदृढ़ बनाने के साथ-साथ धार्मिक आस्था के प्रति श्रद्धालुओं की संपूर्ण जानकारी भी दी जा रही है। प्रयागराज की धार्मिक एवं सांस्कृतिक विरासत के इस आयोजन को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली है। यूनेस्को द्वारा कुंभ मेले को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जो भारतीय संस्कृति की विशिष्टता को दर्शाता है।

रिसर्च और योजनाबद्ध व्यवस्थाएं
महाकुंभ मेला का व्यवस्थित आयोजन सुनिश्चित करने के लिए आईआईएम सहित कई प्रमुख संस्थानों द्वारा रिसर्च की गई है। इस रिसर्च के आधार पर मेला क्षेत्र में भीड़ प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कई योजनाएं बनाई गई हैं। मेला प्राधिकरण ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे संगम तट पर अधिक भीड़ एकत्रित होने से बचें और अन्य प्रमुख घाटों पर स्नान के बाद अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान करें।

श्रद्धालुओं के लिए डिजिटल सशक्तिकरण
प्रयागराज की प्राचीन धार्मिक पहचान और श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह एप तैयार किया गया है। श्रद्धालु महाकुंभ से जुड़ी जानकारी, घाटों और मंदिरों की लोकेशन, और अन्य धार्मिक स्थलों का विवरण एप के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। मेला प्रशासन ने इस डिजिटल सशक्तिकरण के जरिए प्रयागराज में आने वाले श्रद्धालुओं के अनुभव को और भी सुगम और आत्मीय बनाने का प्रयास किया है।

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