मुख्तार अंसारी को 11 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से पेश करने का कोर्ट ने दिया आदेश

Edited By Moulshree Tripathi,Updated: 30 Jul, 2021 09:42 AM

court orders to produce mukhtar ansari personally on august 11

मुख्तार अंसारी को  सांसद-विधायक मामले में स्पेशल कोर्ट ने कारापाल व उपकारापाल पर हमला, जेल में पथराव व जानमाल की धमकी देने के एक मामले में 11 अगस्त को

लखनऊ: मुख्तार अंसारी को  सांसद-विधायक मामले में स्पेशल कोर्ट ने कारापाल व उपकारापाल पर हमला, जेल में पथराव व जानमाल की धमकी देने के एक मामले में 11 अगस्त को व्यक्तिगत रुप से पेश करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इस संदर्भ में अपने इस आदेश की कॉपी बांदा जेल के वरिष्ठ जेल अधीक्षक के साथ ही अतिरिक्त महानिदेशक कारागार, लखनऊ के पुलिस आयुक्त, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव गृह व मुख्य सचिव को भी भेजने का आदेश दिया है।

इससे पूर्व जिला कारागार, बांदा के वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने एक प्रार्थना पत्र के माध्यम से अदालत को बताया कि अभियुक्त को गंभीर बीमारियां है। जिसकी वजह से अदालत के समक्ष उपस्थित होने में असमर्थ है, लिहाजा गुजारिश है कि उसके विरुद्ध आरोपों का निर्धारण की कार्यवाही वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से की जाए।

विशेष न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा है कि वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने प्रार्थना पत्र में इस संदर्भ में कोई आख्या नहीं दी है कि उनके द्वारा अभियुक्त को आरोपों का निर्धारण के लिए अदालत में उपस्थित कराया जा सकता है अथवा नहीं? जबकि इस मामले में अभियुक्त की मात्र पेशी नहीं होनी है बल्कि उस पर आरोप निर्धारित किया जाना है। इस मामले में मुख्तार के अलावा अभियुक्त युसुफ चिश्ती, आलम, कल्लू पंडित व लालजी यादव पर आरोप तय होना है। यह सभी अदालत में व्यक्तिगत रुप से उपस्थित हैं, लेकिन मुख्तार अंसारी की अनुपस्थिति से आरोप तय नहीं हो पा रहा है।

गौरतलब है कि तीन अप्रैल 2000 को इस मामले की प्राथमिकी लखनऊ के कारापाल एसएन द्विवेदी ने थाना आलमबाग में दर्ज कराई थी। इस मामले में मुख्तार अंसारी, युसुफ चिश्ती, आलम, कल्लू पंडित व लालजी यादव आदि को नामजद किया गया था। प्राथमिकी के मुताबिक, पेशी से वापस आए बंदियों को जेल में दाखिल कराया जा रहा था। इनमें से एक बंदी चांद को विधायक मुख्तार अंसारी के साथ के लोग बुरी तरीके से मारने लगे। आवाज सुनकर कारापाल एसएन द्विवेदी व उपकारापाल बैजनाथ राम चैरसिया तथा कुछ अन्य बंदीरक्षक उसे बचाने का प्रयास करने लगे। इस पर उन्होंने इन दोनों जेल अधिकारियों व प्रधान बंदीरक्षक स्वामी दयाल अवस्थी पर हमला बोल दिया, किसी तरह अलार्म बजाकर स्थिति को नियंत्रित किया गया। अलार्म बजने पर यह सभी भागने लगे, साथ ही इन जेल अधिकारियों पर पथराव करते हुए जानमाल की धमकी भी देने लगे। विवेचना के बाद इस मामले में अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था।


 

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