Edited By Tamanna Bhardwaj,Updated: 06 Jun, 2024 05:33 PM
![chandrashekhar azad won nagina seat on his own did dalit politics](https://img.punjabkesari.in/multimedia/914/0/0X0/0/static.punjabkesari.in/2024_6image_17_33_004795624unnamed-ll.jpg)
बिजनौर जिले की नगीना सीट से सांसद बने चंद्रशेखर ने इतिहास रच दिया है। नगीना सीट से सांसद बने चंद्रशेखर दलितों के ‘नगीना’ बन गए ...
Nagina Lok Sabha seat: बिजनौर जिले की नगीना सीट से सांसद बने चंद्रशेखर ने इतिहास रच दिया है। नगीना सीट से सांसद बने चंद्रशेखर दलितों के ‘नगीना’ बन गए हैं। आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण की जीत के साथ ही दलित वोटों के मायावती से खिसकने के संकेत मिल रहे हैं। नई पीढ़ी के दलितों को चंद्रशेखर का आक्रामक रुख भा गया है। नगीना सीट पर चंद्रशेखर आजाद को कुल 512552 वोट मिले और उन्होंने इस सीट पर 151473 वोटों से जीत हासिल की। भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार ओम कुमार को 361079 वोट मिले, जबकि समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार मनोज कुमार को 102374 वोट मिले और बसपा को सुरेंद्र पाल सिंह को 13272 वोट मिले।
''INDIA'' के लोग समझदारी दिखाते तो परिणाम और बेहतर होते- चंद्रशेखर
जीत के आजाद ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि इंडिया गठबंधन को बड़ी नसीहत दी है। उन्होंने कहा गठबंधन के लोग समझदारी दिखाते तो यूपी में नतीजे कुछ और ही होते। उन्होंने चुनाव जीतने के बाद नगीना की जनता का आभार व्यक्त किया। चंद्रशेखर ने कहा, “नगीना की वो महान जनता जिसने मुझे आशीर्वाद दिया, उन सबका और जिन्होंने मेरी आलोचना की, उन सबका भी धन्यवाद करता हूं, जिन्होंने मेरे खिलाफ दूसरी पार्टियों के लिए काम किया, उनका भी धन्यवाद करता हूं।”मतगणना पर उन्होंने कहा कि बहुत ही निष्पक्ष मतगणना हुई है। कहीं से भी किसी तरह की कोई शिकायत नहीं आई।
दलित युवा, धीरे-धीरे भीम आर्मी की ओर आकर्षित हो रहे हैं'
भीम आर्मी के एक समर्थक ने बताया कि चंद्रशेखर ने हमेशा हर उस दलित घर का दौरा किया, जहां किसी सदस्य को निशाना बनाया गया था। चाहे वह हाथरस हो, कानपुर देहात हो, लखीमपुर हो या कोई अन्य जगह हो। उन्होंने आगे कहा कि उनकी टीम पश्चिमी यूपी के विभिन्न शहरों में दलित बच्चों के लिए स्कूल चलाती है। वह पीड़ित परिवारों को कानूनी मदद भी देते हैं। पूर्व सीएम मायावती ने कभी भी पीड़ित परिवारों तक पहुंचने की जहमत नहीं उठाई। हमारे समुदाय के लोग, खासकर युवा, धीरे-धीरे भीम आर्मी की ओर आकर्षित हो रहे हैं, जिसे आज़ाद समाज पार्टी के नाम से भी जाना जाता है। नगीना में अपने नेता चंद्रशेखर की जीत से खुश भीम आर्मी अब पूरे राज्य में अपना संगठन बनाने की योजना बना रही है।
हमेशा उपलब्ध रहते हैं चंद्रशेखर
चंद्रशेखर के तेवर दलित युवाओं को हमेशा आकर्षित करते हैं। खुद मायावती भी चंद्रशेखर रावण की राह में तमाम रोड़े अटकाने का प्रयास करती रही हैं। मायावती के मुकाबले उन तक आसान पहुंच दलितों में लोकिप्रय बनाती है। बसपा सुप्रीमो का कार्यकर्ताओं से दूरी बनाकर रखना, पार्टी पदाधिकारियों से अपनी सुविधानुसार मिलना और चुनावों में शिकस्त मिलने के बाद किसी पर कार्रवाई नहीं करना अब उनके समर्थकों को रास नहीं आ रहा है। यही वजह है कि बसपा के वोट बैंक में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।
चंद्रशेखर की सक्रियता ने बढ़ाई बसपा की टेंशन
राजनीतिक जानकार कहते हैं कि पिछले कुछ साल से दलित नेता चंद्रशेखर आजाद की सक्रियता ने बसपा प्रमुख मायावती की टेंशन बढ़ाई है। दोनों ही पार्टियों के नेताओं का एक ही खास वोट बैंक पर नजर होने से शह-मात का खेल भी शुरू हो गया। चंद्रशेखर को अक्सर अपने भाषणों में बसपा प्रमुख मायावती को निशाने पर लेते देखा जाता है। चंद्रशेखर आरोप लगाते हैं कि मायावती ने दलितों के लिए ठीक से काम नहीं किया। इसका खामियाजा समाज भुगत रहा है। वे दलित समाज के बच्चों के लिए खुद के स्कूल से लेकर अन्य मदद का दावा भी करते हैं।
चंद्रशेखर के लिए संजीवनी साबित हुआ आकाश आंनद को रोकना
चंद्रशेखर के मुकाबले मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को लोकसभा चुनाव में लांच तो किया, लेकिन अनुभव की कमी ने आकाश को चुनावी परिदृश्य से गायब कर दिया। आकाश के तेवर दलित युवाओं को लुभा रहे थे, लेकिन उनको पार्टी के अहम पदों से हटाए जाने से दलितों को चंद्रशेखर में नया विकल्प नजर आने लगा। यही वजह है कि चंद्रशेखर को नगीना में आसान जीत मिली, जो उनकी पार्टी के लिए संजीवनी साबित हुई है। आकाश आनंद और मायावती की जनसभाओं का भी वोटरों पर कोई असर नहीं हुआ और पार्टी को हर जगह हार का सामना करना पड़ा। यह हालात आजाद समाज पार्टी के लिए मुफीद माने जा रहे हैं।
कौन हैं चंद्रशेखर आजाद?
दलितों की आवाज उठाने वाले चंद्रशेखर आजाद, सतीश कुमार और विनय रतन सिंह ने साल 2014 में भीम आर्मी का गठन किया था। इस संगठन का उद्देश्य देश में शिक्षा के जरिए दलितों के उत्थान करना है। ये पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलितों के लिए मुफ्त स्कूल चलाता है। इसके बाद चंद्रशेखर ने आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) को बनाया और 2024 के लोकसभा चुनाव ताल ठोक दी। चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 3 दिसंबर 1986 को हुआ है। वह उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले के छुटमलपुर के रहने वाले हैं। वह एक नेता होने के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता, अम्बेडकरवादी और वकील हैं। उन्हें साल 2011 में टाइम मैग्जीन ने 100 उभरते नेताओं की लिस्ट में शामिल किया था। वहीं, उनका नाम सहारनपुर हिंसा में जुड़ा था, जिसके बाद गिरफ्तार हुई थी। आजाद को यूपी सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया था। हालांकि बाद में उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी।