इलाहाबाद यूनिवर्सिटी ने कर्मचारियों के इस काम पर लगाई रोक, आदेश किए जारी

Edited By Ramkesh,Updated: 02 Apr, 2025 03:14 PM

allahabad university banned this work of employees order issued

इलाहाबाद विश्वविद्यालय संघटक महाविद्यालय शिक्षक संघ (आक्टा) ने स्पष्ट किया है संस्थान की छवि खराब करने वाली किसी भी टिप्पणी, लेख और विचार प्रिंट या डिजिटल मीडिया में देने पर रोक संबंधी विश्वविद्यालय की अधिसूचना का उसकी बैठक में उठाई गई शिक्षकों की...

प्रयागराज: इलाहाबाद विश्वविद्यालय संघटक महाविद्यालय शिक्षक संघ (आक्टा) ने स्पष्ट किया है संस्थान की छवि खराब करने वाली किसी भी टिप्पणी, लेख और विचार प्रिंट या डिजिटल मीडिया में देने पर रोक संबंधी विश्वविद्यालय की अधिसूचना का उसकी बैठक में उठाई गई शिक्षकों की समस्याओं से कोई कोई संबंध नहीं है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार की ओर से 29 मार्च, 2025 को एक अधिसूचना जारी कर कहा गया था कि विश्वविद्यालय के शिक्षण और गैर शिक्षण कार्य से जुड़े सभी सदस्य प्रिंट या डिजिटल मीडिया में ऐसे किसी भी लेख, समाचार, टिप्पणी या विचार देने से दूर रहें जिससे विश्वविद्यालय की छवि खराब हो।

संविधान व्यक्ति की अभिव्यक्ति का अधिकार देता है
इस अधिसूचना में यह भी कहा गया कि उक्त निर्देश का अनुपालन करने में विफल रहने वाले सदस्यों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। आक्टा के अध्यक्ष उमेश पी. सिंह ने स्पष्ट किया कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय की इस अधिसूचना का आक्टा की बैठक में उठाए गए मुद्दों से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि यद्यपि संविधान व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता अपने संस्थान को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं होनी चाहिए। यदि कोई शिक्षक या गैर शिक्षक अपनी टिप्पणी से संस्थान की छवि को नुकसान पहुंचाता है तो उस पर रोक लगनी ही चाहिए।

शिक्षक संघ की बैठक में शिक्षक अपनी समस्याएं रखे
सिंह ने कहा,‘‘हालांकि, यदि विश्वविद्यालय में किसी चीज को लेकर लेट लतीफी होती है तो शिक्षक संगठन या गैर शिक्षक संगठन उस बात को जरूर रेखांकित करेगा। शिक्षक संघ की बैठक में शिक्षक अपनी समस्याएं रखते हैं और इसकी सूचना समाचार पत्रों को दी जाती हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जगत तारन डिग्री कॉलेज के शिक्षकों की प्रोन्नति की फाइलें विश्वविद्यालय में साल भर से लंबित हैं। इसी तरह, अन्य कई संबद्ध महाविद्यालयों में प्रोन्नति के मामले लंबित हैं। सिंह ने बताया कि प्रोन्नति के अलावा नियुक्ति के मामले में ईसीसी में प्रधानाचार्य पद के लिए पिछले वर्ष जून जुलाई में विज्ञापन जारी हुआ था। नियुक्ति के लिए स्क्रीनिंग का नियम है जिसमें कुलपति स्क्रीनिंग के लिए दो विशेषज्ञ भेजता है। इस संबंध में फाइल छह महीने से लंबित है और पिछले पांच सालों से कार्यवाहक प्रधानाचार्य काम कर रहे हैं।

महाविद्यालयों की फाइलें कुलपति के कार्यालय में लंबित 
उल्लेखनीय है कि पिछले 25 मार्च को आक्टा ने आम बैठक के बाद एक विज्ञप्ति जारी कर बताया था कि संबद्ध महाविद्यालयों की फाइलें कुलपति के कार्यालय में महीनों से लंबित रहने के कारण कई शिक्षक नाराज हैं और उन्हें मामूली कार्य के लिए भी कुलपति कार्यालय के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की जनसंपर्क अधिकारी से इस बारे में संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!