इलाहाबाद HC ने पीएसी के 43 जवानों को सुनाई उम्रकैद की सजा, फर्जी एनकाउंटर में मारे थे 10 सिक्ख

Edited By Anil Kapoor,Updated: 16 Dec, 2022 08:38 AM

allahabad high court sentenced 43 pac jawans to life imprisonment

इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 1991 के पीलीभीत फर्जी मुठभेड़ मामले में 43 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने सभी पुलिसकर्मियों को आईपीसी की धारा 304 के तहत दोषी ठहराया और....

लखनऊ: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 1991 के पीलीभीत फर्जी मुठभेड़ मामले में 43 पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने सभी पुलिसकर्मियों को आईपीसी की धारा 304 के तहत दोषी ठहराया और उम्रकैद की सजा सुनाते हुए प्रत्येक पर 10,000 रुपए का जुर्माना लगाया। हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस सरोज यादव की डबल बेंच ने पीलीभीत एनकाउंटर मामले में पुलिसकर्मियों को ये सजा सुनाई है।

आरोपियों को दोषी करार देते हुए कोर्ट ने सुनाई आजीवन कारावास की सजा
जानकारी मुताबिक सीबीआई की विशेष अदालत, लखनऊ ने 4 अप्रैल, 2016 को पीएसी के 47 कर्मियों को आईपीसी की धारा 302 के तहत दोषी ठहराया था और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कर्मियों ने निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट में अपील के लंबित रहने के दौरान 4 आरोपियों की मौत हो गई थी। अदालत ने कहा कि पुलिस अधिकारियों का यह कर्तव्य नहीं है कि वे आरोपी को केवल इसलिए मार दें क्योंकि वह एक खूंखार अपराधी है। निस्संदेह, पुलिस को आरोपी को गिरफ्तार करना होगा और उन्हें मुकदमे के लिए पेश करना होगा।

पीएसी के जवानों ने 12 जुलाई 1991 को 10 सिखों का मार डाला था
उल्लेखनीय है कि पीएसी के जवानों ने 12 जुलाई 1991 को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में तीर्थ यात्रा पर सिखों को ले जा रही एक बस को रोक दिया था। पीएसी कर्मियों ने 12-13 जुलाई की रात को पीलीभीत जिले के बिलसंडा, निउरिया और पूरनपुर इलाकों में 3 अलग-अलग मुठभेड़ों में एक बच्चे सहित 11 पुरुष यात्रियों को महिला यात्रियों से अलग कर दिया और उनमें से 10 को मार डाला। इसके बाद 11वां शख्स एक बच्चा था, जिसका आज तक पता नहीं चल सका है।

4 अप्रैल, 2016 को कोर्ट ने 47 पुलिसकर्मियों को ठहराया था दोषी
जांच के बाद पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी। हालांकि, एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने एनकाउंटर की सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। सीबीआई जांच में कहा गया था कि 57 जवानों ने फर्जी एनकाउंटर किया था। सीबीआई की पूछताछ के दौरान 10 आरोपियों की मौत हो गई थी। सीबीआई की विशेष अदालत ने 4 अप्रैल, 2016 को 47 आरोपियों को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सभी दोषियों ने विशेष सीबीआई अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में अलग-अलग अपील दायर की थी। इससे पहले, उच्च न्यायालय ने 12 आरोपियों को वृद्धावस्था या गंभीर चिकित्सा बीमारी के कारण जमानत दी थी।

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