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MahaKumbh 2025: संगम तट पर मातृत्व का आशीर्वाद: महाकुंभ में 11 महिलाओं ने दिया बच्चों को जन्म

Edited By Anil Kapoor,Updated: 11 Feb, 2025 07:53 AM

11 women gave birth to children in maha kumbh

MahaKumbh 2025: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला आस्था और भक्ति का सबसे बड़ा पर्व है, और इस बार इस आयोजन में एक विशेष घटना घटी। महाकुंभ में कुल 11 महिलाओं ने अपने शिशुओं को जन्म दिया, जिससे यह मेला उनके लिए और भी खास और यादगार बन गया। यह सभी प्रसव...

MahaKumbh 2025: प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला आस्था और भक्ति का सबसे बड़ा पर्व है, और इस बार इस आयोजन में एक विशेष घटना घटी। महाकुंभ में कुल 11 महिलाओं ने अपने शिशुओं को जन्म दिया, जिससे यह मेला उनके लिए और भी खास और यादगार बन गया। यह सभी प्रसव महाकुंभ मेला क्षेत्र के केंद्रीय अस्पताल में हुए।

केंद्रीय अस्पताल में बेहतरीन चिकित्सा सेवाएं
महाकुंभ मेले में लाखों श्रद्धालु आते हैं, जिनमें गर्भवती महिलाएं भी शामिल होती हैं। किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए केंद्रीय अस्पताल पूरी तरह तैयार था। यहां 4 महिला रोग विशेषज्ञों सहित 105 स्वास्थ्य कर्मचारी तैनात थे। इसके अलावा, मेले में 125 एंबुलेंस भी तैनात थीं, जो श्रद्धालुओं को अस्पताल तक तुरंत पहुंचाने के लिए तैयार थीं।

पहला प्रसव और 'कुंभ' नामकरण
केंद्रीय अस्पताल में पहला प्रसव 29 दिसंबर को हुआ, जब 20 वर्षीय महिला सोनम ने एक बेटे को जन्म दिया। इस खास और ऐतिहासिक मौके को यादगार बनाने के लिए, परिवार ने नवजात का नाम 'कुंभ' रखा। सोनम के पति राजा ने बताया कि जब उन्हें प्रसव पीड़ा शुरू हुई, तो वे तुरंत अपनी पत्नी को केंद्रीय अस्पताल लेकर आए, जहां चिकित्सकों ने सुरक्षित प्रसव कराया।

स्वास्थ्य मंत्री ने दी शुभकामनाएं
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक ने सोनम और उनके परिवार को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अस्पताल प्रशासन की बेहतरीन सेवाओं की सराहना की और कहा कि महाकुंभ में सभी श्रद्धालुओं को सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधाएं प्रदान की जाएंगी, ताकि यह दिव्य आयोजन सुरक्षित और सुखद रहे।

महाकुंभ और मातृत्व का संगम
महाकुंभ मेले में मां गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाने आई श्रद्धालु महिलाएं जब मातृत्व के सुखद एहसास से भर गईं, तो इस आयोजन की पवित्रता और भी बढ़ गई। इन नवजात शिशुओं के लिए यह महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक यात्रा नहीं, बल्कि जीवन का पहला आशीर्वाद भी बन गया। इस प्रकार, महाकुंभ ने न केवल धार्मिक आस्था और भक्ति का संदेश दिया, बल्कि मातृत्व के सुख और आशीर्वाद का भी प्रतीक बना।

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