Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Jul, 2017 03:39 PM
मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने यूनिवर्सिटीज, कॉलेजों और स्कूलों में भी....
लखनऊ: मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने यूनिवर्सिटीज, कॉलेजों और स्कूलों में भी सैनिटरी नैपकिन पैड्स मुहैया करवाने के निर्देश दिए हैं,लेकिन इसके बाद से यूपी सरकार के पास इतना बजट नहीं है कि वह सरकारी स्कूलों में मुफ्त सैनिटरी पैड्स दे सके।
सीएमओ डॉ. जीएस बाजपेई ने बताया कि मुफ्त सैनिटरी पैड्स के लिए पिछले साल 4 महीने का बजट दिया गया था। लेकिन इसके बाद भी इसके लिए कोई बजट ही आवंटित नहीं किया गया। स्कूल खुले हैं, लेकिन कोई भी पैसा इस मद में नहीं आया है। गौरतलब है कि सरकारी स्कूलों में बच्चियों के ड्रॉप आउट रेट को कम करने की एक कोशिश राज्य सरकार अब फेल होती नजर आ रही है। सरकारी स्कूलों में कक्षा 6 से 12वीं तक की बच्चियों को मुफ्त सैनिटरी पैड्स दिए जाने की योजना का बजट नहीं जारी किया गया।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, स्थानीय सेकेंडरी स्कूलों में 69 फीसदी लड़कों के मुकाबले केवल 54 फीसदी लड़कियां ही पढ़ पाती हैं। मासिक धर्म के बारे में लड़कियों को शिक्षित कर और उन्हें मुफ्त में सेनेटरी पैड मुहैया कराने से स्कूलों में लड़कियों की हाजिरी में सुधार करने में मदद मिल सकती है, खासतौर से विकासशील देशों में। इसी मकसद से मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय ने यूनिवर्सिटीज, कॉलेजों और स्कूलों में निर्देश जारी किए थे। इसके पीछे तर्क था कि छात्राओं को मेंस्ट्रुएशन के समय घर पर ही रहना पड़ता है। जिससे उनकी पढ़ाई भी प्रभावित होती है।
सर्वे में सामने आई बात
साल 2011-12 में मंत्रालय की स्टेटिक्स ऑन स्कूल एजुकेशन में जारी किए गए आंकड़े चौकाने वाले थे। इसमें इस वर्ष दसवीं तक स्कूल छोड़ने वाली बच्चियों का आंकड़ा 50.7 फीसदी रहा। यूपी का आंकड़ा 52 फीसदी रहा।