Edited By ,Updated: 31 Jan, 2017 12:28 PM
पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मेरठ सीट के लिए इस बार के विधानसभा चुनाव की लड़ाई बहुत ही दिलचस्प होने जा रही है।
मेरठ:पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मेरठ सीट के लिए इस बार के विधानसभा चुनाव की लड़ाई बहुत ही दिलचस्प होने जा रही है। मुस्लिम बहुल आबादी वाली इस सीट पर भाजपा सपा-कांग्रेस गठबंधन, रालोद और बसपा को कड़ी टक्कर देते हुए इस पर अपना कब्जा बनाए रखने की तैयारी में है, वहीं दूसरे दल भाजपा को पछाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते। भाजपा के मौजूदा विधायक लक्ष्मीकांत बाजपेयी इस सीट से पुन: पार्टी के उम्मीदवार है। उन्होंने कहा कि उन्हें पांचवी बार इस सीट से जीतने का पूरा भरोसा है। उन्होंने वर्ष 1989, 1996, 2002 और 2012 में इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था।
सत्ता हथियाने के लिए किया गया सपा-कांग्रेस ‘बेमेल गठबंधन’
आने वाले दिनों में मेरठ में भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सपा-कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव रैलियां करेंगे। भाजपा प्रत्याशी बाजपेयी ने राज्य विधानसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन का जिक्र करते हुए कहा कि यह सिर्फ सत्ता हथियाने के लिए किया गया ‘बेमेल गठबंधन’ है। गठबंधन के बाद सपा 298 सीटों पर और कांग्रेस 105 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं।
मुलायम सिंह सपा-कांग्रेस गठबंधन के समर्थन में नहीं
बाजपेयी ने कहा कि गठबंधन अपने आप में उनकी (कांग्रेस और सपा की) कमजोरी को दर्शाता है। कांग्रेस ने ‘27 साल, उत्तर प्रदेश बेहाल’ के नारे के साथ चुनाव अभियान शुरू किया था और शीला दीक्षित को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में चुनाव में उतारा था। लेकिन चुनाव शुरू होने के पहले ही इसने सपा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव इस तरह के गठबंधन का समर्थन नहीं करते हैं।
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