महागठबंधन की अटकलें तेज, मुलायम-प्रशांत में हुई 6 घंटे की मैराथन बैठक

Edited By ,Updated: 06 Nov, 2016 02:23 PM

mulayam singh  prashant kishore  ajit singh

कांग्रेस महासचिव और पार्टी मामलों के प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद और सूबे के अध्यक्ष राज बब्बर के मना करने के बावजूद चुनावी रणनीतिकार प्रशान्त किशोर उर्फ पीके की बढ़ी सक्रियता से कांग्रेस और...

लखनऊ: कांग्रेस महासचिव और पार्टी मामलों के प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद और सूबे के अध्यक्ष राज बब्बर के मना करने के बावजूद चुनावी रणनीतिकार प्रशान्त किशोर उर्फ पीके की बढ़ी सक्रियता से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच राज्य विधानसभा चुनाव के लिए गठबन्धन की अटकलें तेज हो गई हैं। दरअसल, कांग्रेस उत्तर प्रदेश के सहारे 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव की वैतरिणी पार करने की जुगत है। इस कवायद के तहत कांग्रेस राज्य विधानसभा के चुनाव के लिए जीत की गोटी बिछाने में लगी हैं। पी के ने इस बाबत दिल्ली में सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव सें मिलने के बाद लखनऊ में भी उनसे मुलाकात की।

6 घंटे तक चली बैठक
सपा सूत्रों के अनुसार इस मुलाकात के दौरान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव भी थे। वह दो दिनों से यहीं डेरा डाले हुए हैं। दो चक्रों में तीनों की बीच हुई मुलाकात तीन घंटे से अधिक चली। राजनीतिक हलकों में चल रही अटकलों के अनुसार पी के सपा नेताओं से बात करने के बाद पल पल की रिपोर्ट सीधे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को सौंपते हैं। सपा नेताओं और पी के के बीच होने वाली बात का ब्यौरा तो नहीं मिल सका है, लेकिन माना जा रहा है कि कांग्रेस और सपा दोनों ही मिलकर विधानसभा चुनाव लडने पर सिद्धान्तत: सहमत हैं, अब केवल सीटों के बंटवारे पर फार्मूला तैयार करना है।

धर्मनिरपेक्ष मतों का बंटवारा हर हाल में रोकना होगा
दूसरी ओर, कांग्रेस 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद 2019 में प्रस्तावित लोकसभा के चुनाव को लेकर भी चिंतित है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेन्द्र प्रताप सिंह का मानना है कि 2017 में साम्प्रदायिक शक्तियों का परास्त होना जरूरी है क्योंकि 2017 में यदि यह ताकतें जीतती हैं तो 2019 में इन्हें हराना आसाना नहीं होगा। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की 71 और उसके सहयोगी अपना दल के पास दो सीटें हैं। सिंह कहते हैं कि भाजपा को 2019 में हराने के लिए 2017 में हराना जरूरी है और इसके लिए धर्मनिरपेक्ष मतों का बंटवारा हर हाल में रोकना ही होगा।

महागठबन्धन होना चाहिए-अजित सिंह
सपा के रजत जयन्ती समारोह में आए नेताओं में भी भाजपा को हराने के लिए गठबन्धन की ललक दिखी। राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) अध्यक्ष चौधरी अजित सिंह ने तो स्पष्ट कहा कि महागठबन्धन होना चाहिए और इसकी बागडोर मुलायम सिंह यादव को आगे आकर संभालनी चाहिए। चौधरी अजित सिंह ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव से आगे आकर सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को एक मंच पर लाने की पहल की गुजारिश की। उनका दावा था कि इससे उत्तर प्रदेश का ही नहीं बल्कि पूरे देश का भला होगा। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने इसे आज की बड़ी राजनीतिक जरूरत बताई।

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