भय और खौफ से मुक्त हैं ऊंचे पदों पर बैठे भ्रष्टाचारी: संजीव चतुर्वेदी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Apr, 2018 05:47 PM

sanjeev said fearless corrupt officers are sitting on high posts

भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार अभियान चलाने वाले चर्चित आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेर्दी का साफ कहना है कि अभी तो भ्रष्टाचार के खिलाफ जुबानी अभियान ही चल रहा है। बड़े पदों पर बैठे भ्रष्टाचारियों का कुछ भी नहीं बिगड़ रहा। सिर्फ पटवारी, बाबू, सिपाही ही...

देहरादून: भ्रष्टाचार के खिलाफ लगातार अभियान चलाने वाले चर्चित आईएफएस अधिकारी संजीव चतुर्वेर्दी का साफ कहना है कि अभी तो भ्रष्टाचार के खिलाफ जुबानी अभियान ही चल रहा है। बड़े पदों पर बैठे भ्रष्टाचारियों का कुछ भी नहीं बिगड़ रहा। सिर्फ पटवारी, बाबू, सिपाही ही गिरफ्तार हो रहे हैं। उनके खिलाफ कभी-कभार कार्रवाई हो जाती है। इससे भ्रष्टाचार के खिलाफ कुछ भी परिणाम नहीं आने वाला। चतुर्वेदी कहते हैं कि बड़ी-बड़ी बातें करने और भाषण देने से हालात नहीं बदलने वाले। यह वक्त बातं करने का नहीं, बल्कि ठोस काम करने का है। इसके लिए ऐसी स्वतंत्र संस्था का निर्माण करना आवश्यक है, जिसके पास जांच और अभियोजन का अधिकार हो।

 

संस्था पूरी तरह से स्वायत्त होनी चाहिए और इसके पास वित्तीय अधिकार भी हों। साथ ही भ्रष्टाचार के मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट बनें। जब भ्रष्टाचारियों को लगेगा कि भ्रष्टाचार हाईरिस्क और लो गेन बिजनेस है, तब हालात बदलेंगे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि सिविल सेवा में भतिर्यों, स्थानांतरण और दंड देने में शिथिलता के कारण भ्रष्टाचार पनपता और बढ़ता है। इसलिए, सिविल सर्विस बोर्ड का गठन होना चाहिए। इसके साथ ही प्रदेशों में भी स्वायत्तशासी संस्थाओं में भी मुख्य सतर्कता अधिकारी का पद होना चाहिए। इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लग सकेगी। 

आईएएस को तवज्जो से प्रतिभा को नुकसान:
संजीव चतुर्वेदी कहते हैं कि हमारे शासन तंत्र में जो व्यवस्था चली आ रही है, वह प्रतिभा का नुकसान करती है। आईएएस को सर्वाधिक तवज्जो दी जाती है, जो गलत है। ऐसा नहीं है कि काम सिर्फ सिविल सेवा के लोग कर सकते हैं। इस समय केंद्र सरकार में 42 आईएफएस अधिकारी संयुक्त सचिव स्तर के हैं। वे शानदार काम कर रहे हैं। प्रदेशों में भी ऐसा किया जाना चाहिए। मौजूदा सिस्टम को बदलना जरूरी है। 

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करेंगे:
उत्तराखंड में जलवायु परिवर्तन का प्रभार देख रहे आईएफस संजीव चतुर्वेदी कहते हैं जलवायु परिवर्तन होने से लोगों की आजीविका पर विपरीत असर पड़ रहा है। ग्लेशियर पीछे जा रहे हैं और वनस्पति नीचे से ऊपर की ओर। यह चिंता की बात है। इसलिए हमारे स्तर से कई तरह से काम हो रहा है। सौ वर्ष पुराने वनस्पति की सांख्यिकी को डिजीटाइज किया जा रहा है। कैंपा के फंड का उपयोग इसके लिए किया जा रहा है। ब्रह्मकमल और सालम पंजा पर खतरा मंडरा रहा है। इसलिए, उन्हें भी संरक्षित करने का काम चल रहा है। मुनस्यारी, रुद्रनाथ, कालसी, गोपेश्वर और श्रीकोट में इनकी नर्सरी स्थापित की जा रही है। 

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