29 अप्रैल को केदारनाथ धाम पर जाएंगे पीएम मोदी, फिर कर्नाटक चुनाव पर होगी नजर

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Apr, 2018 11:26 AM

pm modi on kedarnath dham visit on 29th april

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 29 अप्रैल को केदारनाथ धाम का प्रस्तावित दौरा सुर्खियों में है। अभी तक उनके दौरे का अनन्तिम कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है लेकिन इसे लेकर सियासी बयानबाजियां चरम पर हैं। इतना जरूर तय है कि पीएम मोदी बाबा केदार के दर्शन करने...

देहरादून/दीपक फर्स्वाण। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 29 अप्रैल को केदारनाथ धाम का प्रस्तावित दौरा सुर्खियों में है। अभी तक उनके दौरे का अनन्तिम कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है लेकिन इसे लेकर सियासी बयानबाजियां चरम पर हैं। इतना जरूर तय है कि पीएम मोदी बाबा केदार के दर्शन करने के तुरंत बाद ही एक मई से कर्नाटक विधानसभा चुनाव के प्रचार में उतरेंगे। सियासी जानकारों का मानना है कि मोदी के केदारनाथ दौरे की ‘टाइमिंग’ और लिंगायत समुदाय का केदरनाथ ‘कनेक्शन’ कर्नाटक चुनाव में भाजपा को राजनैतिक लाभ पहुंचा सकता है।

भारतीय जनता पार्टी दक्षिण भारत के राज्यों में अपनी स्थिति को मजबूत करने के हर संभव प्रयास कर रही है। इस लिहाज से कर्नाटक राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव भाजपा के लिये काफी अहम हैं। यह महज इत्तेफाक हो सकता है कि 12 मई को कर्नाटक राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं और वहां पार्टी के प्रचार के लिये प्रधानमंत्री मोदी की 15 रैलियां तय हो चुकी हैं। एक मई को कर्नाटक में अपना प्रचार अभियान शुरू करने से ऐनपूर्व मोदी 29 अप्रैल को केदारनाथ मंदिर के दर्शन करेंगे। मोदी की भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था जग जाहिर है। वह अपना कोई भी महत्वपूर्ण काम शुरू करने से पहले भोले शंकर के दर्शन जरूर करते हैं। संयोगवश केदारनाथ मंदिर के कपाट उनके मिशन कर्नाटक के शुरू होने से पहले खुल रहे हैं, लिहाजा मोदी देश के बारह ज्योर्तिलिंगों में सर्वोच्च केदारनाथ का आशीर्वाद लेने पहुंच रहे हैं। मोदी की आस्था से इतर केदारनाथ धाम का कर्नाटक राज्य से एक और दिलचस्प जुड़ाव है। वह यह है कि लिंगायत समुदाय के लोग मुख्य पुजारी (रावल) के रूप में केदारनाथ मंदिर की पूजा पाठ करते हैं। यही लिंगायत समुदाय कर्नाटक के चुनाव में डिसाइडिंग फैक्टर माना जाता है।

दरअसल, कर्नाटक में 18 फीसदी लिंगायत, 16 फीसदी गौड़ा, 15 फीसदी मुस्लिम, 10 फीसदी दलित व 19 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता हैं। इनमें से लिंगायतों में एकजुट होकर वोट डालने की परम्परा है लिहाजा उनकी सियासी अहमियत सर्वाधिक है। लिंगायतों का वोट कर्नाटक की कुल 224 सीटों में से 100 को सीधे प्रभावित करता है। इतना ही नहीं कर्नाटक में अभी तक कुल 14 मुख्यमंत्री हुये हैं, जिनमें से 6 लिंगायत, 5 गौड़ा और 3 पिछड़ी जाति से हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देकर रिझाने का प्रयास किया है। जबकि लिंगायत वोटरों का रुझान भाजपा की ओर माना जाता है। कहते हैं कि वर्ष 1990 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने लिंगायत समुदाय के लोकप्रिय मुख्यमंत्री वीरेन्द्र पाटिल को बर्खास्त कर दिया था, तब इस समुदाय के लोग कांग्रेस से नाराज हो गये थे। अबकी बार भाजपा लिंगायतों के बूते ही कर्नाटक में सरकार बनाने का सपना संजोये है। लिहाजा प्रधानमंत्री मोदी के केदारनाथ दौरे को एक मेगा इवेंट के तौर पर प्रचारित किया जा रहा है। इस मौके पर दिखाये जाने वाले लेजर शो में बाबा केदार के साथ ही लिंगायत पुजारियों का भी जिक्र होगा। 

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