नैनीताल HC ने 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के मामले में राज्य सरकार से मांगा शपथपत्र

Edited By Nitika,Updated: 16 Oct, 2019 06:21 PM

nainital hc seeks affidavit from state government

उत्तराखंड के 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के मामले में पारित अध्यादेश की वैधानिकता को लेकर मंगलवार को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई। इस मामले में अब गुरुवार को सुनवाई होगी।

नैनीतालः उत्तराखंड के 5 पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के मामले में पारित अध्यादेश की वैधानिकता को लेकर मंगलवार को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो पाई। इस मामले में अब गुरुवार को सुनवाई होगी।

कोर्ट ने सरकार को निर्देश देते हुए कहा कि वह 17 अक्टूबर तक जवाब पेश करे कि प्रकरण से जुड़े सभी पक्षकारों को नोटिस भेजे गए हैं या नहीं? इस मामले का खास पहलू यह है कि इस मामले में कोर्ट ने महाराष्ट्र के राज्यपाल एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी को भी पक्षकार बनाया है। कोर्ट ने उन्हें भी नोटिस जारी किया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की युगलपीठ में इस मामले पर बुधवार को सुनवाई होनी थी। इस मामले में कोश्यारी सहित अन्य 3 पूर्व मुख्यमंत्रियों रमेश पोखरियाल निशंक, भुवन चंद्र खंडूरी और विजय बहुगुणा को पक्षकार बनाया गया है और सरकार सहित सभी को नोटिस जारी किया गया है। कोर्ट ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को भी विगत 16 सितम्बर को पक्षकार बनाने के निर्देश याचिकाकर्ता को दिए थे और उन्हें भी नोटिस जारी किए थे।

याचिकाकर्ता की ओर से सोमवार को कोर्ट के संज्ञान में लाया गया कि सरकार की ओर से नोटिस जारी नहीं किए गए हैं। इसके बाद अदालत ने इस प्रकरण को आज सुनवाई के लिये तय किया और सरकार से 17 अक्टूबर तक शपथपत्र पेश करने को कहा कि सभी पक्षकारों को नोटिस सर्व किये गये है या नहीं। अध्यादेश को देहरादून की गैर सरकारी संस्था रूरल लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट केन्द्र (रलेक) की ओर से चुनौती दी गयी है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया है कि अध्यादेश असंवैधानिक है और उच्च न्यायालय के 3 मई 2019 को दिए गये आदेश को पलटने (ओवर रूल) के उद्देश्य से सरकार अध्यादेश लाई है। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार को इस प्रकार की कोई विधायी शक्ति प्राप्त नहीं है। जिससे अदालत के फैसले के खिलाफ अध्यादेश लाया जा सके।

उल्लेखनीय है कि राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने विगत 5 सितम्बर को उत्तराखंड भूतपूर्व मुख्यमंत्री सुविधा अध्यादेश, 2019 को मंजूरी दी थी। कोर्ट के आदेश के बाद इस अध्यादेश को राज्य के पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों को राहत देने के रूप में देखा जा रहा था। जिन्हें उच्च न्यायालय ने छह माह के अंदर 2.8 करोड़ रुपये की धनराशि सरकारी आवास एवं अन्य मदों के बदले में जमा करने के निर्देश दिये थे। रलेक संस्था की ओर से दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए 3 मई 2019 को मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की अगुवाई वाली खंडपीठ ने सभी पांच मुख्यमंत्रियों को बाजार दर पर आवास किराया समेत अन्य चीजों का भुगतान करने के निर्देश दिये थे। अदालत ने यह भी कहा था कि यदि प्रतिवादी अदालत के निर्देश का पालन नहीं करते हैं तो सरकार उनसे वसूली की कार्यवाही कर सकती है।

 

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