Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Apr, 2018 10:32 PM
उत्तराखण्ड में सरकार ने एक दर्जन आईएएस अधिकारियों के दायित्वों में फेरबदल किया है। जबकि सात पीसीएस अफसरों के दायित्व भी बदले गये हैं। इसी फेरबदल के तहत हाल ही में उत्तर प्रदेश से उत्तराखण्ड आये चर्चित आईएएस राजीव रौतेला को कुमाऊं मण्डल का आयुक्त...
देहरादून: उत्तराखण्ड में सरकार ने एक दर्जन आईएएस अधिकारियों के दायित्वों में फेरबदल किया है। जबकि सात पीसीएस अफसरों के दायित्व भी बदले गये हैं। इसी फेरबदल के तहत हाल ही में उत्तर प्रदेश से उत्तराखण्ड आये चर्चित आईएएस राजीव रौतेला को कुमाऊं मण्डल का आयुक्त बनाया गया है। वहीं आईएएस रणवीर सिंह चौहान से ऊर्जा विभाग की जिम्मेदारी वापस ली गई है तो पंकज पाण्डेय को ग्राम्य विकास की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई है।
उत्तर प्रदेश से हाल ही में उत्तराखण्ड लौटे गोरखपुर के चर्चिम जिलाधिकारी राजीव रौतेला को कुमाऊं कमिश्नर की जिम्मेदारी सौंपी गई है। पिछले काफी समय से जांच का सामना कर रहे औद्योगिक विकास विभाग के अपर सचिव आर राजेश कुमार से सारे महकमे वापस लेकर उन्हें सचिवालय प्रशासन का दायित्व सौंपा गया है। साफ छवि के आईएएस सैंथिल पांडियन से ग्रामीण अभियंत्रण सेवा तथा गन्ना एवं चीनी का दायित्व वापस लेकर आईएएस इन्द्र बौड़ाई को दे दिया गया है। हरवंश सिंह चुग से राजस्व विभाग वापस लेकर विनोद रतूड़ी को सौंप दिया गया है।
जबकि रतूड़ी से संस्कृत शिक्षा और सचिवालय प्रशासन विभाग वापस ले लिया गया है। रतूड़ी के पास सचिवालय प्रशासन होने के कारण उनके द्वारा लिये गये कुछ निर्णय से कर्मचारियों में नाराजगी देखी जा रही थी। रणवीर सिंह चौहान से ऊर्जा और उरेडा विभाग वापस लेकर ये विभाग वित्त सेवा के अधिकारी भूपेश तिवारी को सौंपे गये हैं। चौहान को इसके बदले में कैप्टेन आलोक शेखर तिवारी से महिला बाल विकास विभाग का जिम्मा लेकर सौंपा गया है। सचिव बंसल से ग्राम्य विकास आयुक्त का दायित्व छीनकर पंकज कुमार पाण्डेय को सौंपा गया है। इसके अलावा, महत्वपूर्ण फेरबदल में पीसीएस अधिकारी हंसा दत्त पाण्डेय को चमोली का सीडीओ बनाया गया है।
चर्चाओं में राजीव रौतेला की पोस्टिंग
राजीव रौतेला को कुमाऊं मण्डल का कमिश्नर बनाने का त्रिवेन्द्र सरकार का फैसला चर्चाओं में हैं। 2002 बैच के राजीव रौतेला पीसीएस से आईएएस बने थे। उन्हें यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का चहेता अफसर बताया जाता है। योगी ने सीएम बनने के बाद उन्हें गोरखपुर का डीएम बनाया गया था। वह चर्चाओं में तब आये जब गोरखपुर लोकसभा के उपचुनाव के दौरान उन्होंने मतगणना की राउण्ड वाइज घोषणा अचानक रोक दी थी।
इसके बाद वह विपक्ष के निशाने पर आ गये थे। विपक्ष ने उनकी शिकायत भारतीय चुनाव आयोग से की थी। विधानसभा में भी उन्हें लेकर खूब हंगामा हुआ था।उसके बाद योगी सरकार ने उन्हें गोरखपुर के डीएम से हटा तो दिया लेकिन देवीपाटन मंडल का कमिश्नर बना दिया था। बाद में केन्द्र के कार्मिक मंत्रालय ने उन्हें उनके मूल कॉडर उत्तराखंड भेजने के आदेश दिये थे। तब से वह उत्तराखण्ड में बाध्य प्रतीक्षा में थे।