इस साल अब तक जल चुके हैं 3870 हेक्टेयर जंगल, टूटेगा दो साल पुराना रिकॉर्ड?

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 May, 2018 06:33 PM

fire in forest is out of control in uttarakhand

उत्तराखंड में एक बार फिर जंगलों में आग लगने का संकट गहराता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से जंगलों में लगी आग लगातार फैलती जा रही है। आग ने पहाड़ी के साथ-साथ मैदानी क्षेत्र को भी अपने आगोश में ले लिया है। वन महकमे ने आग पर काबू पाने में पूरी ताकत झोंक...

देहरादून: उत्तराखंड में एक बार फिर जंगलों में आग लगने का संकट गहराता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों से जंगलों में लगी आग लगातार फैलती जा रही है। आग ने पहाड़ी के साथ-साथ मैदानी क्षेत्र को भी अपने आगोश में ले लिया है। वन महकमे ने आग पर काबू पाने में पूरी ताकत झोंक दी है। स्थिति संभलने के बजाय बिगड़ती चली जा रही है। अब तक 3870 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंच चुका है। हालात ये हैं कि जंगलों में आग इसी तेजी से फैलती रही, तो आने वाले कुछ ही दिनों में वर्ष 2016 को 4423 हेक्टेयर जंगल जलने का रिकार्ड टूट जाएगा। दो वर्ष पहले 2016 में उत्तराखंड के जंगलों में भीषण आग लगी थी।

 

इसमें 4423 हेक्टेयर वनसम्पदा नष्ट हो गई थी। उस वक्त आग पर काबू पाने के लिए न सिर्फ सेना की मदद ली गई थी, बल्कि वायुसेना के दो एमआई-17 हेलीकॉप्टर भी जंगलों में पानी का छिड़काव करने पहुंचे थे। उस समय चमोली में एक पुलिसकर्मी समेत दो लोगों की वनों की आग बुझाने के प्रयास में मृत्यु हो गई थी। एनजीटी ने भी जंगलों में आग को लेकर एहतियात न बरते जाने और फिर आग बुझाने के यथासंभव गंभीर प्रयास न किए जाने पर उत्तराखंड व पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश की सरकार को फटकार लगाते हुए नोटिस जारी किए थे। कमोवेश वही स्थिति इस बार भी बन रही है। अब तक को जो आंकड़ा वन विभाग ने जारी किया है, उसके अनुसार इस सीजन में अब तक आग लगने की 1776 घटनाएं हो चुकी हैं। इसमें 3870 हेक्टेयर जंगल जला है। आग से हुए नुकसान का आंकलन भी 40 लाख के पार पहुंच चुका है। पौड़ी, बागेश्वर, नैनीताल और चम्पावत में जंगलों को खासा नुकसान पहुंचा है।

 

थोड़ा सा संभली है स्थिति : गुप्ता
मुख्य वन संरक्षक एवं नोडल अफसर फायर वीपी गुप्ता का कहना है कि सोमवार को स्थिति थोड़ा सा संभली है। आग की घटना से विभाग चिंतित है। इस पर काबू  पाने के लिए कई टीमों का गठन किया गया है। उनकी पूरी कोशिश आग को फैलने से रोकना है, ताकि जंगल और जानवरों को बचाया जा सके। फिलहाल अभी ऐसा नहीं लगता कि सेना की मदद ली जानी चाहिए।

आग लगने में है माफिया का हाथ ?
जंगलों में आग लगने के पीछे तरह-तरह की आशंकाएं जताई जा रही हैं। इनमें से एक वजह लकड़ी माफिया को भी बताया जा रहा है। दरअसल, जंगल की जली और खराब लकड़ी नीलामी के जरिए बेची जाती है। अब तक आग में हजारों पेड़ जल चुके हैं। उन्हें बेचने से वन विकास निगम को काफी पैसा मिलेगा। इससे लकड़ी माफिया को भी बड़ा फायदा होगा।

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