Edited By Nitika,Updated: 17 Dec, 2018 02:34 PM
समाज की रुढ़िवादी और पुरानी परम्पराओं की बेड़ियों को तोड़ते हुए उत्तराखंड की बेटियों ने अपने पिता को कंधा दिया। इसके साथ ही बेटे और बेटियों के भेदभाव को खत्म करते हुए 4 बहनों में से दूसरे नंबर वाली बहन ने अपने पिता का चिता को मुखाग्नि भी दी।
चकराताः समाज की रुढ़िवादी और पुरानी परम्पराओं की बेड़ियों को तोड़ते हुए उत्तराखंड की बेटियों ने अपने पिता को कंधा दिया। इसके साथ ही बेटे और बेटियों के भेदभाव को खत्म करते हुए 4 बहनों में से दूसरे नंबर वाली बहन ने अपने पिता का चिता को मुखाग्नि भी दी। यह देख अंतिम यात्रा में आए लोगों की आंखें नम हो गई।
जानकारी के अनुसार, राजधानी देहरादून के चकराता कैंट के सप्लाई क्षेत्र में किराने की दुकान चलाने वाले दिलबहादुर थापा काफी समय से बीमार चल रहे थे। उनका इलाज पिछले 1 महीने से महंत इंदृयेश अस्पताल में चल रहा था। इसी बीच इलाज के क्रम में उनकी मौत हो गई। वहीं दिलबहादुर थापा का कोई बेटा ना होने के कारण उनकी चारों बेटियों ने उनका अंतिम संस्कार करने की बात कही। इसके साथ ही चारों बेटियों ने अपने पिता के शव को कंधा देकर शमशान घाट तक पहुंचाया।
इतना ही नहीं चारों बेटियों में से दूसरे नंबर वाली बेटी ने अपने पिता की चिता को मुखाग्नि देकर बेटे का फर्ज अदा किया। अंतिम संस्कार में मौजूद सभी लोग बेटियों के कदम को देखकर भावुक हो गए। बता दें कि दिलबहादुर थापा के कोई बेटा नहीं था। उसने कभी भी अपनी बेटियों के साथ भेदभाव नहीं किया था और उन्हें अपने बेटों की तरह पाल पोसकर बड़ा किया था।