Edited By Umakant yadav,Updated: 17 Jun, 2020 08:22 PM
जोगीरमपुरी उर्फ अहमदपुर सादात दरगाह जब सैकड़ो साल पहले सैयद राजू औरंगजेब के जुल्म सितम से बचने के लिए जोगिराम्पुरी इलाके के घने जंगलो में आकर मौला अली की इबादत करने लगे। इसी इबादत की बदौलत...
बिजनौर: जोगीरमपुरी उर्फ अहमदपुर सादात दरगाह जब सैकड़ो साल पहले सैयद राजू औरंगजेब के जुल्म सितम से बचने के लिए जोगिराम्पुरी इलाके के घने जंगलो में आकर मौला अली की इबादत करने लगे। इसी इबादत की बदौलत सैयद राजू ने हजरात मौला अली के आने का पैगाम लोगों तक पहुंचाया। उसी पैगाम के आगाज के मदेनाजर हर साल लाखों जायरीन अपनी- अपनी मुराद लिए मौला अली के दरबार में पहुंचते हैं।
400 साल पुरानी इस दरगाह की खासियत यह है की सैयद राजू औरंगजेब के जमाने में छिपते-छिपाते बिजनौर के जोगिराम्पुरी क्षेत्र में आकर खुदा की इबादत करते थे। वहीं जंगलो में एक बुढ़ा बाबा ब्रह्मण घास खोद रहा था। इसी दौरान घोड़ो की टपो की आवाज ब्रह्मण को सुनाई दी चूंकी बाबा नेत्रहीन थे तो यह सारी दास्तां बाबा ने राजू से बताई उसी ही रात को राजू को सपना आया की हजरत अली इन जंगलो में आए थे। तभी से इस गांव में कुदरती पानी का चस्मा फुट जो आज लाखों लोगो की सेहद के फायदेमंद साबित हो रहा है।
यहां आने वाले यात्री मानते हैं की यहां के पानी के नहाने से बीमारियां दूर होती है। साथ ही यहां आये सभी जायरीन इस चमत्कारी पानी को अपने साथ घर ले जाते हैं। दरगाह-ए-आलिया नज्फे हिन्द जोगीपुरा में हार साल मजलिसों में लाखों आते हैं और अपनी -अपनी दुआ मांगते हैं।