Loksabha Election 2024: मेनका के गढ़ से वरुण की छुट्टी, क्या बीजेपी बचा पाएगी सीट...जानिए पीलीभीत सीट का इतिहास

Edited By Imran,Updated: 30 Mar, 2024 02:36 PM

varun leaves maneka s stronghold will bjp be able to save the seat

पीलीभीत नेपाल और उत्तराखंड से सटा हुआ खूबसुरत क्षेत्र है। इसके अलावा इसे एक वजह से और जाना जाता है वो है गांधी परिवार का गढ़। देश में अमेठी और रायबरेली को ही गांधी परिवार का गढ़ कहा जाता है।

Loksabha Election 2024: पीलीभीत नेपाल और उत्तराखंड से सटा हुआ खूबसुरत क्षेत्र है। इसके अलावा इसे एक वजह से और जाना जाता है वो है गांधी परिवार का गढ़। देश में अमेठी और रायबरेली को ही गांधी परिवार का गढ़ कहा जाता है। लेकिन पीलीभीत भी गांधी परिवार से ही जुड़ा है। मेनका गांधी दशकों से इस सीट पर काबिज रही लेकिन 2009 के चुनाव में उन्होंने अपने बेटे वरुण गांधी के लिए सीट छोड़ी। साल 2014 में वो फिर से अपनी सीट पर वापस आ गई थीं। अगर बात करें इस सीट के इतिहास की तो इस सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ और कांग्रेस ने जीत दर्ज की लेकिन उसके बाद 1957, 1962 और 1967 के चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी ने चुनाव जीता।
PunjabKesari
साल 1971 में कांग्रेस इस सीट पर वापसी कर पाई लेकिन 1977 के सत्ता विरोधी लहर में बीएलडी के खाते में ये सीट गई। वहीं 1980 और 1984 में कांग्रेस यहां आखिरी बार जीत पाई। उसके बाद ये सीट हमेशा से मेनका गांधी की हो गई... पति संजय गांधी की मौत के बाद मेनका ने इस सीट से साल 1989 में जनता दल से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। लेकिन 2 साल बाद 1991 में हुए चुनाव में वो बीजेपी प्रत्याशी से हार गई। 1996 में मेनका गांधी यहां से निर्दलीय चुनाव लड़ी और जीत हासिल की इसके बाद साल 1998 और 1999 में हुए चुनाव में मेनका ने निर्दलीय ही चुनाव लड़कर जीत हासिल की। साल 2004 में मेनका गांधी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ी और फिर जीत गईं। साल 2009 में अपने बेटे वरुण के लिए मेनका ने ये सीट छोड़ दी। वरुण यहां से सांसद बने लेकिन 2014 के चुनाव में मेनका गांधी फिर यहां से चुनाव लड़ी और संसद पहुंची। इस तरीके से कह सकते हैं कि ये सीट भी गांधी परिवार का गढ़ है। साल 2019 के पिछले चुनाव में भी वरुण गांधी यहां से चुनाव जीते और मेनका गांधी सुल्तानपुर से सांसद बनीं।

लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें
अगर बात विधानसभा सीटों की करें, तो इस लोकसभा क्षेत्र में कुल 5 विधानसभा सीटें हैं। जिनमें एक सीट बरेली जिले की बहेड़ी है। बाकी 4 सीटें पीलीभीत जिले की हैं।  इनमें पीलीभीत, बरखेड़ा, पूरनपुर सुरक्षित और बीसलपुर शामिल हैं।
PunjabKesari
साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव के परिणाम को देखें तो पीलीभीत लोकसभा की 5 विधानसभा सीटों में से 4 पर बीजेपी का कब्जा है जबकि एक सीट पर समाजवादी पार्टी जीती थी। बरेली जिले की बहेड़ी पर सपा और पीलीभीत जिले की सभी 4 सीटों पर बीजेपी के विधायक हैं।

पीलीभीत लोकसभा सीट पर कुल मतदाता
PunjabKesari
पीलीभीत लोकसभा सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 17 लाख 47 हजार 654 है। कुल मतदाताओं में पुरुष मतदाताओं की संख्या 9 लाख 41 हजार 480 है, जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 8 लाख 06 हजार 096 है, वहीं ट्रांसजेंडर के कुल 78 मतदाता शामिल हैं। 

2019 में हुए चुनाव पर एक नज़र 
PunjabKesari
पीलीभीत लोकसभा सीट पर 2019 में हुए चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर बीजेपी के वरुण गांधी ने दूसरी बार जीत दर्ज की थी। वरुण ने सपा के हेमराज वर्मा को ढाई लाख से अधिक भारी मतों के अंतर से हराया था। वरुण गांधी को कुल 7 लाख 04 हज़ार 549 वोट मिले थे। जबकि सपा से हेमराज वर्मा को 4 लाख 48 हज़ार 922 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर नोटा थी। जिसे 9 हज़ार 973 वोट मिले थे।

2014 में हुए चुनाव पर एक नज़र 
PunjabKesari
पीलीभीत लोकसभा सीट पर 2014 में हुए चुनाव पर नज़र डालें, तो इस सीट पर 5 बार की सांसद मेनका गांधी ने छठी बार चुनाव जीता था। मेनका ने सपा के बुद्धसेन वर्मा को भारी मतों से हराया था। मेनका गांधी को कुल 5 लाख 46 हजार 934 वोट मिले थे। जबकि सपा से बुद्धसेन वर्मा को 2 लाख 39 हज़ार 882 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा के अनीस अहमद खान रहे थे। अनीस को कुल 1 लाख 96 हज़ार 294 वोट मिले थे।

2009 में हुए चुनाव पर एक नज़र 
PunjabKesari
साल 2009 के लोकसभा चुनाव में मेनका गांधी ने ये सीट अपने बेटे फिरोज वरुण गांधी के लिए छोड़ दी थी।  फिरोज वरुण गांधी ने यहां से चुनाव लड़ा और गांधी परिवार की बादशाहत कायम रखी। वरुण गांधी ने कांग्रेस वीएम सिंह को भारी मतों से हराया। फिरोज वरुण गांधी को कुल 4 लाख 19 हजार 539 वोट मिले थे। जबकि कांग्रेस के वीएम सिंह को 1 लाख 38 हज़ार 38 वोटों से संतोष करना पड़ा। वहीं तीसरे नंबर पर सपा के हाजी रियाज अहमद रहे थे... रियाज को कुल 1 लाख 17 हज़ार 903 वोट मिले थे।

2004 में हुए चुनाव पर एक नज़र 
PunjabKesari
साल 2004 लोकसभा चुनाव में  इस सीट पर बीजेपी से मेनका गांधी ने चुनाव जीता था। मेनका ने सपा उम्मीदवार सत्यपाल गंगवार को हराया था। मेनका गांधी को इस चुनाव में 4 लाख 19 हज़ार 539 वोट मिले थे जबकि सपा के सत्यपाल गंगवार को 2 लाख 55 हजार 615 वोट मिले थे। वहीं तीसरे नंबर पर बसपा के अनीस अहमद थे। अनीस को कुल 1 लाख 21 हज़ार 269 वोट मिले थे। 

ओबीसी बिरादरी यहां निर्णायक भूमिका में हैं
पीलीभीत लोकसभा उत्तर प्रदेश की सीट नंबर- 26 है। ये कुर्मी बहुल सीट मानी जाती है। जबकि मुस्लिम, ब्राह्मण और सिख मतदाता की संख्या भी इस सीट पर काफी है। बाकी ओबीसी बिरादरी यहां निर्णायक भूमिका में हैं। लंबे समय से इस सीट पर मेनका गांधी परिवार का कब्जा था। छह बार मेनका गांधी तो दो बार उनके बेटे वरुण गांधी इस सीट से सांसद रह चुके हैं। मेनका गांधी के बीजेपी में आने के बाद ही साल 2004 से इस सीट पर बीजेपी का लगातार कब्जा है और इसको परंपरागत सीट माना जाता है। जबकि कई-कई बार यूपी में सरकार बना चुकी सपा और बसपा का यहां आज तक खाता नहीं खुल पाया है। देश में आम चुनाव 2024 के पहले चरण की नामांकन प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है।  

इस बार पीलीभीत सीट पर बीजेपी ने मौजूदा सांसद वरुण गांधी का टिकट काटकर योगी सरकार में मंत्री जितिन प्रसाद को दिया है, जो ब्राह्मण चेहरा माने जाते हैं। सपा ने कुर्मी बिरादरी के भगवत शरण गंगवार पर दांव लगाया है। जबकि बीएसपी ने हाथी की सवारी का मौका पूर्व मंत्री अनीस अहमद खां उर्फ फूल बाबू को इस सीट पर दिया है। अनीस अहमद पूर्व में भी इस सीट से ही 2 बार चुनाव लड़ चुके हैं। ऐसे में पीलीभीत की सियासी जंग में मुकाबला त्रिकोणीय बनता दिखाई दे रहा है। हालांकि देश की इस हॉट सीट पर बीजेपी पहले से ही मजबूत हालत में है। वहीं सपा और बसपा दोनों के अलग-अलग मैदान में होने का फायदा भी बीजेपी प्रत्याशी को मिलेगा। 
 

 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!