Edited By ,Updated: 02 Mar, 2017 12:11 PM
इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा बहुचर्चित मथुरा जवाहरबाग कांड की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) से कराए जाने के आदेश दिए जाने से उत्तर प्रदेश सरकार को करारा झटका लगा है।
इलाहाबाद:इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा बहुचर्चित मथुरा जवाहरबाग कांड की जांच केन्द्रीय जांच ब्यूरो(सीबीआई) से कराए जाने के आदेश दिए जाने से उत्तर प्रदेश सरकार को करारा झटका लगा है। मुख्य न्यायाधीश डी बी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने विजय पाल सिंह तोमर की याचिका पर यह आदेश दिया। न्यायालय ने जांच निर्धारित समय में पूरा करने तथा इसके लिए सीबीआई की विशेष जांच दल गठित करने के आदेश दिए हैं।
जवाहरबाग कांड की जांच सीबीआई से कराए जाने के दिए आदेश
मथुरा के जवाहर बाग में उपद्रवियों और पुलिस के बीच हुए सशस्त्र संघर्ष में 29 लोगों की मृत्यु हो गई थी जिसमें एक पुलिस उपाधीक्षक शामिल था। पीठ ने सुबह 10 बजे बहुचर्चित मथुरा जवाहरबाग कांड की जांच सीबीआई से कराए जाने के आदेश दिए। इसे उत्तर प्रदेश सरकार के लिए करारा झटका माना जा रहा है। सूबे में राज्य विधानसभा के दो चरणों में अभी मतदान होना है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सीबीआई को इसके लिए एक विशेष दल गठित करने तथा अपनी जांच रिपोर्ट दो महीने के भीतर सौपने के आदेश दिए हैं।
जवाहरबाग में उपद्रवियों व पुलिस के बीच हुआ था सशस्त्र संघर्ष
गौरतलब है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर दो जून 2016 को मथुरा स्थित जवाहरबाग को खाली कराने के लिए पुलिस पहुंची थी। इस बीच जवाहर बाग पर जबरन कब्जा करने वाले उपद्रवियों व पुलिस के बीच सशस्त्र संघर्ष हो गया। सघर्ष में 2 पुलिस अधिकारी फराह, संतोष यादव, पुलिस उपाधीक्षक मुकुल द्विवेदी तथा 27 उपद्रवी मारे गए थे। बाबा जय गुरुदेव के अनुयायी, रामवृक्ष यादव के नेतृत्व में सशस्त्र अतिक्रमणकारियों के एक दल ने जवाहर बाग की भूमि पर 2014 से कब्जा किया हुआ था। मूलरूप से गाजीपुर निवासी राम वृक्ष यादव मय निजी प्रशासन, राजस्व व सेना के साथ यहां से अपनी समानान्तर सरकार चला रहा था।