Edited By Ramkesh,Updated: 01 Sep, 2024 08:05 PM
जलवायु परिवर्तन के चलते हुई असमान बारिश ने उत्तर प्रदेश के किसानों के माथे पर खरीफ फसलों की पैदावार को लेकर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। राज्य के आधे से ज्यादा जिलों में जून से अब तक सामान्य से भी कम बारिश हुई है और धान की फसल के लिए मशहूर शामली...
लखनऊ: जलवायु परिवर्तन के चलते हुई असमान बारिश ने उत्तर प्रदेश के किसानों के माथे पर खरीफ फसलों की पैदावार को लेकर चिंता की लकीरें खींच दी हैं। राज्य के आधे से ज्यादा जिलों में जून से अब तक सामान्य से भी कम बारिश हुई है और धान की फसल के लिए मशहूर शामली जिले के किसान तो बारिश के लिए तरस गए हैं। मानसून का मौसम आधिकारिक तौर पर इस महीने खत्म हो रहा है, लेकिन बारिश के असमान वितरण ने राज्य के किसानों को इस बार खरीफ की फसलों की पैदावार को लेकर आशंकित कर दिया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों के मुताबिक, 75 जिलों वाले उत्तर प्रदेश में जून से अब तक आधे से अधिक यानी 37 जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है।
31 जिलों में सामान्य और सात जिलों में सामान्य से ज्यादा हुई वारिश
हालांकि, मध्य और पूर्व के 31 जिलों में सामान्य और सात जिलों में सामान्य से ज्यादा पानी बरसा है। आंकड़ों के अनुसार, राज्य के पश्चिमी, रोहिलखंड और मध्य क्षेत्र मानसून की अनियमित तर्ज और बेतरतीब बारिश से खासतौर से प्रभावित हुए हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले के किसान तो मानो बारिश के लिए तरस ही गए। इस जिले में सामान्य बारिश का केवल 20.2 प्रतिशत पानी ही बरसा है। शामली के सीमांत किसान मुकीम खान के मुताबिक, अपर्याप्त बारिश के कारण फसलों की वृद्धि प्रभावित हुई है। उसने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, “पर्याप्त बारिश के बिना हम धान नहीं उगा सकते। मैंने दो एकड़ से ज्यादा जमीन पर धान की फसल बोई, लेकिन कम बारिश की वजह से इसकी वृद्धि अच्छी नहीं हुई।” धान की बेहतरीन फसलों के लिए मशहूर शामली में इस साल अब तक सामान्य 448.4 मिलीमीटर (मिलीमीटर) में से सिर्फ 90.8 मिलीमीटर बारिश हुई है।
कम दिनों में ज्यादा बारिश से खरीफ की फसले हुई प्रभावित
आईएमडी कैलेंडर के अनुसार, दक्षिण-पश्चिम मानसून का मौसम एक जून से शुरू होकर 30 सितंबर को समाप्त होता है। सिर्फ कम बारिश ही नहीं, बल्कि कम दिनों में ज्यादा बारिश भी खरीफ किसानों को प्रभावित करती है। ये बदलाव खास तौर पर धान जैसी ज्यादा पानी की जरूरत वाली फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। गौतमबुद्ध नगर, अमरोहा, फतेहपुर और जौनपुर में भी बारिश में काफी कमी आई है। अमरोहा में धान की खेती करने वाले किसान नकुल पाल कहते हैं, “मैंने जुलाई के पहले हफ्ते में धान की रोपाई की थी। बारिश की कमी की वजह से हमें ट्यूबवेल का इस्तेमाल करना पड़ा। बारिश बिल्कुल न के बराबर हुई और मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि मैं सिर्फ ट्यूबवेल से ही अपनी फसल की सिंचाई करा सकूं।” खेती के लिए पट्टे पर खेत लेने वाले पाल (65) ने कहा, “मैं किशोरावस्था से ही धान की खेती कर रहा हूं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से बारिश का मौसम बहुत अनिश्चित हो गया है।”
बदलावों के कारण मानसून में देर होती है
आईएमडी के आंकड़ों से पता चलता है कि गौतमबुद्ध नगर जिले में अब तक सामान्य बारिश का सिर्फ 20.9 प्रतिशत, अमरोहा में 40.6 प्रतिशत, कुशीनगर में 41.3 प्रतिशत, चंदौली में 43.1 प्रतिशत, फतेहपुर में 43.6 प्रतिशत, सहारनपुर में 43.7 प्रतिशत, जौनपुर में 46 प्रतिशत और अमेठी में 48.4 प्रतिशत पानी ही बरसा है। जलवायु वैज्ञानिक इस असंतुलन का कारण पश्चिमी विक्षोभ से प्रभावित कमजोर दक्षिण-पूर्वी मानसून को मानते हैं। जलवायु वैज्ञानिक और केंद्रीय कृषि मंत्रालय के पूर्व सलाहकार सुमित सिंह व्यास ने कहा कि पश्चिमी विक्षोभ के कारण आंशिक रूप से कम दबाव वाले क्षेत्र ने मानसून की प्रगति को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा, “इससे मानसून की तर्ज में असमान और अचानक बदलाव होता है। इन बदलावों के कारण मानसून में देर होती है और कम दिनों में बारिश होती है।”
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में केवल दो सप्ताह सामान्य बारिश हुई
मानसून सत्र के पिछले 12 हफ्तों से जुड़े आईएमडी डेटा के अनुसार, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में केवल दो सप्ताह सामान्य बारिश हुई। व्यास ने कहा, “बारिश के पैटर्न में बदलाव के कारण कुछ दिनों में बहुत भारी बारिश होती है और कुछ दिनों में लगभग न के बराबर पानी बरसता है। इसलिए एक क्षेत्र में एक ही दिन में उतनी बारिश हो सकती है, जितनी आमतौर पर एक सप्ताह में होती है। ऐसी बारिश की घटनाओं से फसलों को अतिरिक्त नुकसान पहुंचता है और प्राकृतिक आपदाएं भी हो सकती हैं।” जिन जिलों में अपेक्षाकृत सामान्य बारिश हुई, वहां भी बारिश की अनियमित चाल ने किसानों के लिए अपनी कृषि गतिविधियों की योजना बनाना दुरूह कर दिया है।
कृषि को हुई हानि पर हर संभव मदद करेगी सरकार
प्रदेश के कृषि शिक्षा और अनुसंधान राज्य मंत्री बलदेव सिंह औलख ने कहा कि किसान पहले ही इस मुद्दे को लेकर उनसे संपर्क कर चुके हैं। उन्होंने कहा, “धान उगाने वाले तराई क्षेत्र के किसान बारिश की कमी से प्रभावित हुए हैं। कुछ किसान समूहों ने सहायता के लिए मुझसे संपर्क भी किया है।” मंत्री ने कहा कि उन्होंने किसानों को कृषि हानि की स्थिति में राज्य सरकार की ओर से हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। उत्तर प्रदेश में अब तक सामान्य का 88.5 प्रतिशत पानी बरस चुका है। जिन जिलों में अधिक बारिश हुई है, उनमें औरैया (182.1 प्रतिशत), बलरामपुर (157.2 प्रतिशत), एटा (156.9 प्रतिशत), बस्ती (155.9 प्रतिशत), फिरोजाबाद (125.7 प्रतिशत), बरेली (122.6 प्रतिशत) और महराजगंज (120.3 प्रतिशत) शामिल हैं।